अमानवीय घटना: दिल्ली के शाहदरा इलाके में एक अमानवीय घटना सामने आई है, जिसमें एक व्यक्ति ने एंबुलेंस कर्मचारियों और अस्पताल प्रशासन पर अपने बेटे का फोन चोरी करने का आरोप लगाया है।

यह घटना बीते 21 दिसंबर को घटी थी, जब अभिषेक कुमार नामक एक 27 वर्षीय युवक को कार्डियक अरेस्ट आने पर उसके पिता ने एक जानी-मानी अस्पताल से एंबुलेंस बुलवाई थी। इस घटना के बाद अस्पताल और एंबुलेंस कर्मचारियों के खिलाफ फोन चोरी का मामला पुलिस तक पहुंच गया है, और फिलहाल पुलिस जांच कर रही है।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
अमानवीय घटना: अस्पताल प्रशासन से फोन की वापसी की मांग
अमानवीय घटना: यह मामला शाहदरा डिस्ट्रिक्ट की बिहारी कॉलोनी का है, जहां रहने वाले अनिल कुमार ने 21 दिसंबर को अपने बेटे अभिषेक को अचानक कार्डियक अरेस्ट होने के बाद जागृति एंक्लेव स्थित जैन न्यूरो सेंटर से एंबुलेंस बुलाई थी। एंबुलेंस कर्मचारियों ने अभिषेक को अस्पताल ले जाने के लिए उनके घर पर पहुंचकर उसे एंबुलेंस में लाद लिया था। इस बीच, अभिषेक का फोन उसकी मेज पर रखा हुआ था। हालांकि, एंबुलेंस के कर्मचारियों का आरोप है कि फोन सिर्फ मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए आए थे, लेकिन उनका कहना है कि इस दौरान उनका बेटा का फोन भी चोरी हो गया।
अनिल कुमार का कहना है कि जब एंबुलेंस कर्मचारी बेटे को नीचे लेकर जा रहे थे, तब एक कर्मचारी ने फोन की चोरी की। बाद में, जब उनके बेटे की मौत हो गई, तो अनिल को इस फोन की अहमियत समझ में आई और उन्होंने अस्पताल प्रशासन से फोन की वापसी की अपील की, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इस आरोप को नकारते हुए फोन की वापसी से इंकार कर दिया।
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अमानवीय घटना: ऐप्पल वॉच से फोन की लोकेशन का पता चला
अभिषेक का फोन एक आईफोन 13 था, जो उस समय गायब हो गया था। हालांकि, पिता को बेटे की याद के रूप में फोन की तलाश थी। वह चाहते थे कि उनका बेटा का फोन उनके पास वापस आए, ताकि वह उसे एक स्मृति के रूप में रख सकें। उन्होंने अस्पताल प्रशासन से फोन लौटाने की मांग की, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी।
इसके बाद, 23 दिसंबर को अनिल कुमार की बेटी ने अस्पताल में जाकर उनके भाई की ऐप्पल वॉच को देखा और पाया कि वॉच फोन से फिर से कनेक्ट हो गई है। यह स्पष्ट करता है कि फोन अस्पताल में कहीं आसपास एक्टिव है। अनिल का दावा है कि ऐप्पल वॉच के साथ फोन का कनेक्शन होने से यह साबित हो रहा था कि फोन अस्पताल में कहीं मौजूद था। उनका कहना था कि ऐप्पल वॉच को फोन के पास लाकर ऑटोमैटिक कनेक्ट हो जाता है, और यह उनके बेटे के फोन के मामले में भी हुआ था।
अमानवीय घटना: अस्पताल प्रशासन का बयान
इस मामले में जैन अस्पताल प्रशासन ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि उन्हें इस घटना के बारे में जानकारी दी गई थी कि एक मरीज का आईफोन कहीं खो गया है, और उसकी लोकेशन अस्पताल के आसपास दिख रही थी। अस्पताल प्रशासन ने इसके बाद किसी भी अज्ञात फोन की तलाश करने का प्रयास किया, लेकिन वे इसमें असमर्थ रहे। अस्पताल का कहना था कि उन्होंने अपने स्तर पर पूरी कोशिश की थी, लेकिन फोन का पता नहीं चल सका।
इस आरोप के बाद अनिल कुमार ने 24 दिसंबर को अस्पताल प्रशासन को अंतिम चेतावनी दी थी कि अगर फोन उन्हें 10 बजे तक वापस नहीं किया गया तो वह पुलिस में शिकायत दर्ज कराएंगे। इसके बाद, अनिल कुमार ने पुलिस में लिखित शिकायत दी और एंबुलेंस कर्मचारियों और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और जांच शुरू कर दी।
अमानवीय घटना: आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की उम्मीद
फर्श बाजार पुलिस थाना ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस के डीसीपी शाहदरा, प्रशांत गौतम ने बताया कि पुलिस इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि मामले की पूरी जांच की जाएगी और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस द्वारा जांच जारी है और आरोपियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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अमानवीय घटना: एंबुलेंस कर्मचारियों का बयान
एंबुलेंस कर्मचारियों ने अपनी तरफ से आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि उनका मुख्य उद्देश्य मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाना था। उनका कहना था कि उन्होंने फोन चोरी करने का कोई इरादा नहीं था और जो कुछ भी हुआ वह किसी प्रकार की अनजानी घटना हो सकती है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में किसी भी तरह की गलती के लिए जिम्मेदार नहीं हैं और इस बारे में पुलिस जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
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अमानवीय घटना: फोन की तलाश और परिवार का दुख
इस घटना ने एक और सवाल खड़ा किया है कि क्या अस्पताल और एंबुलेंस कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से कर रहे हैं या नहीं। इस घटना में, जहां एक परिवार अपने बेटे को खो चुका है, वहीं उस बेटे की एक याद को भी वे खो रहे हैं। फोन की वापसी न होने से पीड़ित परिवार को गहरे मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। वे सिर्फ अपने बेटे की याद को संरक्षित करना चाहते थे, लेकिन अब उन्हें अपने बेटे की यादों को पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ रहा है।
इस घटना ने न केवल एंबुलेंस सेवा और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि कभी-कभी अनचाहे घटनाक्रम कैसे एक परिवार को दर्द और मानसिक कष्ट में डाल सकते हैं। अब पुलिस को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह इस मामले की गहराई से जांच करें और दोषियों को सजा दिलाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

अमानवीय घटना: कर्मचारी कर्तव्यों का पालन क्या है जिम्मेदारी?
यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा सवाल उठाती है कि किस हद तक अस्पताल और एंबुलेंस कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। क्या उनके कार्यों के पीछे कोई मानवीय दृष्टिकोण है या केवल सेवा से ज्यादा व्यावसायिक लाभ का लक्ष्य होता है? इस घटना ने दिल्ली में अस्पताल प्रशासन और एंबुलेंस सेवाओं की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और इस मामले में कड़ी जांच की जरूरत है।