एक गैंगस्टर की कहानी: सुनील ताजपुरिया उर्फ टिल्लू ताजपुरिया 2025 !

एक गैंगस्टर की कहानी: दिल्ली की अपराध कथा में कई नाम आते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो अपने पीछे एक छाप छोड़ जाते हैं — टिल्लू ताजपुरिया उन्हीं में से एक था।

एक गैंगस्टर की कहानी: सुनील ताजपुरिया उर्फ टिल्लू ताजपुरिया 2025 !
एक गैंगस्टर की कहानी: सुनील ताजपुरिया उर्फ टिल्लू ताजपुरिया 2025 !

सुनील ताजपुरिया, जिसे दिल्ली की अपराध की दुनिया में टिल्लू के नाम से जाना जाता था, का जीवन एक आम छात्र से एक खूंखार गैंगस्टर बनने तक के सफर की कहानी है। यह कहानी दोस्ती, दुश्मनी, सत्ता, हिंसा और अंततः एक दर्दनाक मौत से जुड़ी है।

CRIME EPISODE टीपू सुल्तान

क्राइम एपिसोड

एक गैंगस्टर की कहानी: शुरुआती जीवन और पढ़ाई

सुनील ताजपुरिया का जन्म दिल्ली के बवाना इलाके में हुआ था। वह एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता था। उसने स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। कॉलेज के दिनों में ही उसकी मुलाकात जतिंदर मान उर्फ गोगी से हुई थी। शुरू में दोनों अच्छे दोस्त थे और साथ में कॉलेज यूनियन चुनावों में हिस्सा लेते थे।

टिल्लू का व्यक्तित्व करिश्माई था, और वह युवाओं को अपने साथ जोड़ने में माहिर था। लेकिन कॉलेज पॉलिटिक्स ने जल्द ही दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया। छात्र संघ चुनावों और बाहरी प्रभावों ने दोनों के बीच दरार डाल दी, जो बाद में खूनी गैंगवार में तब्दील हो गई।

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गैंगस्टर बनने की शुरुआत

कॉलेज से निकलते ही टिल्लू और गोगी दोनों ने अपने-अपने गिरोह बना लिए। टिल्लू ने अपने गैंग को संगठित किया और धीरे-धीरे वह दिल्ली और हरियाणा के सीमावर्ती इलाकों में अपना दबदबा बढ़ाने लगा। उसके गिरोह में कई युवा शामिल हुए, जिनका इस्तेमाल वह आपराधिक गतिविधियों — जैसे हत्या, लूट, रंगदारी और अपहरण — में करता था।

उसका मुख्य क्षेत्र उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली, नरेला, बवाना और रोहिणी था। धीरे-धीरे टिल्लू ताजपुरिया का नाम पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज होने लगा और वह ‘मोस्ट वांटेड’ की लिस्ट में शामिल हो गया।

गोगी गैंग से दुश्मनी

टिल्लू ताजपुरिया और जतिंदर गोगी की दुश्मनी दिल्ली की सबसे कुख्यात गैंगवार बन गई। दोनों गुटों के बीच लगभग एक दशक तक हिंसक संघर्ष चलता रहा। सड़कों पर फायरिंग, सोशल मीडिया पर धमकियाँ, मर्डर और पुलिस मुठभेड़ — यह गैंगवार पूरी राजधानी में चर्चा का विषय बन गया।

इस टकराव की सबसे खतरनाक झलक 2021 में देखने को मिली जब रोहिणी कोर्ट में गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर वकील के वेश में कोर्ट में घुसे और गोगी पर ताबड़तोड़ गोलियाँ चला दीं। पुलिस को शक था कि इस हत्या के पीछे टिल्लू गैंग का हाथ था, हालांकि टिल्लू उस समय जेल में था।

एक गैंगस्टर की कहानी: सुनील ताजपुरिया उर्फ टिल्लू ताजपुरिया 2025 !
एक गैंगस्टर की कहानी: सुनील ताजपुरिया उर्फ टिल्लू ताजपुरिया 2025 !

गिरफ्तारी और जेल जीवन

टिल्लू ताजपुरिया को कई बार गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसका नेटवर्क इतना मजबूत था कि वह जेल से भी अपना गैंग ऑपरेट करता रहा। साल 2016 में उसे एक पुलिस एनकाउंटर के बाद पकड़ा गया था। तब से वह तिहाड़ जेल में बंद था।

हालांकि जेल में बंद होने के बावजूद टिल्लू ने अपने गैंग का संचालन बंद नहीं किया। मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और अपने वफादार साथियों के माध्यम से वह हर गतिविधि पर नजर रखता था। कई बार पुलिस को जेल से अपराध संचालित होने के सबूत मिले।

टिल्लू गैंग का सोशल मीडिया इस्तेमाल

टिल्लू और उसके गैंग ने सोशल मीडिया को अपराध के प्रचार का माध्यम बना लिया था। हत्या के बाद धमकी भरे पोस्ट डालना, वीडियो बनाकर दूसरे गैंग को डराना और अपने “स्टेटस” को हाईलाइट करना इस गैंग की रणनीति का हिस्सा था। इससे न केवल गैंग का खौफ बढ़ता था, बल्कि नए लड़कों को गैंग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाता था।

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हत्या की साजिश और मौत

2 मई 2023 को तिहाड़ जेल में टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी गई। यह घटना तिहाड़ जैसी हाई-सिक्योरिटी जेल में घटित हुई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। सुबह करीब 6:15 बजे, चार कैदियों ने उस पर ताबड़तोड़ हमला किया। उन हमलावरों में से दो गोगी गैंग से जुड़े थे — जो गोगी की हत्या का बदला लेना चाहते थे।

हमले में टिल्लू को कई बार चाकू और लोहे की रॉड से मारा गया। घायल अवस्था में उसे दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। पुलिस जांच में सामने आया कि हत्या की साजिश लंबे समय से रची जा रही थी और जेल के अंदर मौजूद कमजोर सुरक्षा व्यवस्था का फायदा उठाया गया।

कानूनी और सामाजिक प्रभाव

टिल्लू की मौत ने न केवल गैंगवार के एक अध्याय को समाप्त किया, बल्कि तिहाड़ जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। कैसे एक हाई-प्रोफाइल गैंगस्टर पर जेल में हमला हो सकता है? क्या पुलिस को उसकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करनी चाहिए थी? ये सवाल कोर्ट और मीडिया में गूंजने लगे।

उसकी हत्या के बाद भी टिल्लू की छवि सोशल मीडिया पर “रॉबिनहुड” जैसी बना दी गई — खासकर उन युवाओं के बीच जो अपराध को ग्लैमर के रूप में देखते हैं। यह समाज के लिए चिंतन का विषय बन गया है कि कैसे एक शिक्षा प्राप्त युवक अपराध की दुनिया में फंसा और अंततः बर्बाद हो गया।

CRIME EPISODE

टिल्लू ताजपुरिया की गैंगवार की दास्तान

सुनील ताजपुरिया उर्फ टिल्लू ताजपुरिया की कहानी आधुनिक भारत में अपराध, गैंगवार और युवा दिशा भ्रम की जीवंत मिसाल है। कॉलेज से शुरू हुई दोस्ती दुश्मनी में बदली, और उस दुश्मनी ने दर्जनों जिंदगियों को बर्बाद कर दिया।

टिल्लू की मौत गैंगस्टर की दुनिया का काला सच उजागर करती है — जिसमें शुरुआत भले ही “इज्ज़त” या “दबदबे” से हो, लेकिन अंत हमेशा खून और पछतावे में होता है। यह कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारा समाज, शिक्षा व्यवस्था और कानून तंत्र युवाओं को सही दिशा देने में असफल हो रहा है?

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