गैंगवार पर कड़ा प्रहार: राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ते गैंगवार और सार्वजनिक स्थानों पर हो रही हिंसक घटनाओं के बीच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक और बड़ी सफलता अर्जित की है।

प्रशांत विहार की एनआर-I टीम ने तलवार ग्रुप के तीन कुख्यात और उभरते अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जो थाना महेन्द्रा पार्क में दर्ज हथियारबंद हमले के एक गंभीर मामले में वांछित थे।
यह गिरफ्तारी न केवल अपराधियों को पकड़ने में मील का पत्थर है, बल्कि दिल्ली में बढ़ती गैंग प्रतिद्वंद्विता पर रोक लगाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
BNSS और आर्म्स एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज
दिनांक 19-20 मई 2025 की रात, आरोपियों ने अपने साथियों – कुलजीत और दो नाबालिगों – के साथ मिलकर कुरैशी ग्रुप के तीन सदस्यों पर हमला किया। यह हमला पूर्व नियोजित था और इसमें आरोपी न केवल धारदार हथियारों से लैस थे, बल्कि उनके पास देसी कट्टे जैसे आग्नेयास्त्र भी थे। फैजल, मोनिश और नितिन तिवारी पर अचानक हुए इस हमले में तीनों को गंभीर चाकू के घाव आए। हमलावरों ने न केवल जानलेवा हमला किया, बल्कि इलाके में सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाकर दहशत फैलाने की भी कोशिश की।
इस वारदात के बाद आरोपियों ने फरार होकर अपने ठिकाने बदल लिए। महेन्द्रा पार्क थाने में FIR संख्या 304/25 के तहत BNSS की धाराओं 118(1), 125, 324(6), 3(5) और 25 आर्म्स एक्ट के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया।
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कांस्टेबल अंकुश की सतर्कता से हुआ बड़ा खुलासा
डीसीपी हर्ष इंदोरा ने बताया की इस पूरे ऑपरेशन की सफलता का श्रेय जाता है कांस्टेबल अंकुश को, जिन्होंने एक विश्वसनीय गुप्त सूचना के आधार पर अपराध शाखा की टीम को सतर्क किया। इंस्पेक्टर अजय शर्मा और इंस्पेक्टर अजय गहलावत के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई, जिसमें सब-इंस्पेक्टर हितेश भारद्वाज, प्रधान सिपाही रविंद्र कुमार, शब्बीर खान, आकाश, नीरज और कांस्टेबल अंकुश शामिल थे।
गुप्त सूचना मिली कि तीनों आरोपी हरिद्वार (उत्तराखंड) की ओर भाग चुके हैं और संभवतः रात में दिल्ली लौट सकते हैं। इस सूचना पर कार्रवाई करते हुए टीम ने गाजीपुर बॉर्डर पर निगरानी बढ़ा दी और तीनों को एक ऑपरेशन के दौरान धर दबोचा।
शुरुआती पूछताछ में आरोपियों ने अपराध में संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन आगे की कड़ी पूछताछ में उन्होंने महेन्द्रा पार्क की घटना में अपनी भूमिका स्वीकार की। उन्हें BNSS की धारा 35(1)(b) के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक कार्यवाही शुरू की गई है।
नशे और गलत संगत ने बनाया अपराधी
हिमांशु उर्फ पोसी:
जहांगीरपुरी निवासी हिमांशु सिर्फ 9वीं तक पढ़ा है। उसके पिता फैक्ट्री में सफाईकर्मी हैं और माता गृहिणी हैं। गलत संगत और नशे की लत ने उसे अपराध की दुनिया में धकेल दिया। वह पहले भी एक जानलेवा हमले (FIR संख्या 165/24) में आरोपी रहा है।
कक्षा 7 के बाद अपराध की राह पर चला कनिष्क
रोहन भी हिमांशु का साथी है और उसी क्षेत्र का निवासी है। वह भी 9वीं तक पढ़ा है। पिता की मृत्यु के बाद मां घरेलू काम करके गुज़ारा करती हैं। वह पहले भी हिमांशु के साथ एक हत्या के प्रयास के मामले में आरोपी रहा है।
कक्षा 7 तक पढ़ा कनिष्क गलत संगत और नशे का शिकार होकर लूट व छीना-झपटी जैसे अपराधों में संलिप्त हो गया। वर्ष 2024 में वह थाना महेन्द्रा पार्क में दर्ज एक डकैती के मामले में आरोपी रह चुका है।

कुरैशी ग्रुप से दुश्मनी में चली गोलियां
पूछताछ के दौरान तीनों आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्होंने कुरैशी ग्रुप से पुरानी रंजिश के चलते यह हमला किया था। उनके पास धारदार हथियार और देसी कट्टे थे। पीड़ितों द्वारा विरोध करने और शोर मचाने पर उन्होंने गोलियां चलाकर इलाके में दहशत फैलाने की कोशिश की।
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दिल्ली पुलिस ऑपरेशन की सफलता में टीम वर्क की चमक
इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन में इंस्पेक्टर अजय शर्मा, इंस्पेक्टर अजय गहलावत और कांस्टेबल अंकुश की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। उनकी तत्परता, सूझबूझ और टीम वर्क की बदौलत न केवल तीन खतरनाक अपराधियों को पकड़ा गया, बल्कि भविष्य में होने वाली किसी बड़ी ग्रुपवार की आशंका को भी टाल दिया गया। इस सफलता के लिए सहायक आयुक्त पुलिस अशोक शर्मा के कुशल पर्यवेक्षण और पूरे ऑपरेशन टीम की विशेष सराहना की जा रही है।

गैंगवार पर रोक की दिशा में मील का पत्थर
दिल्ली पुलिस की यह कार्यवाही न केवल अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाने का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि दिल्ली पुलिस अपराध और अपराधियों के खिलाफ कितनी सजग है। अपराध शाखा की यह कार्रवाई आने वाले समय में गैंगवार और क्षेत्रीय आपराधिक ग्रुप्स के हौसले पस्त करने में मील का पत्थर साबित होगी।