पुणे में डिजिटल अरेस्ट स्कैम का पर्दाफाश: शनिवार रात, पुणे के खराड़ी इलाके में स्थित ‘प्राइड आइकॉन’ नामक एक बहुमंजिला इमारत की 9वीं मंजिल पर पुलिस ने एक बड़े साइबर ठगी रैकेट का भंडाफोड़ किया।

इस ऑपरेशन में 150 से अधिक पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया और ‘मैग्नेटेल बीपीएस एंड कंसल्टेंट्स एलएलपी’ नामक फर्जी कॉल सेंटर से 123 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें 12 महिलाएं और 111 पुरुष शामिल हैं।
‘डिजिटल अरेस्ट‘ का डर बनाकर ठगी
पुणे में डिजिटल अरेस्ट स्कैम का पर्दाफाश: यह फर्जी कॉल सेंटर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाकर उन्हें बताया करता था कि उनके अमेज़न अकाउंट्स का उपयोग ड्रग तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों में हो रहा है। इसके बाद, खुद को अमेरिकी एजेंसियों का अधिकारी बताकर, उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ की धमकी दी जाती थी और अमेज़न गिफ्ट कार्ड्स खरीदने के लिए मजबूर किया जाता था। इन गिफ्ट कार्ड्स को बाद में नकदी में बदलकर हवाला या क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से भारत लाया जाता था।
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जब्ती पुलिस ने बड़े पेमाने पर की बरामदगी
पुलिस ने इस ऑपरेशन के दौरान 64 लैपटॉप, 41 मोबाइल फोन, 4 राउटर, कर्मचारियों के आईडी कार्ड्स और अंग्रेजी में लिखे गए स्क्रिप्ट्स जब्त किए। इन उपकरणों में वीपीएन सॉफ्टवेयर और लाखों अमेरिकी नागरिकों के डेटा पाए गए। कॉल सेंटर जुलाई 2024 से रात 6 बजे से 2 बजे तक अमेरिकी समयानुसार संचालित हो रहा था।
मुख्य आरोपी को पुलिस ने पकड़ है
पुलिस ने पांच मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है:
- सरजीत सिंह गिरावत सिंह शेखावत (26) – झुंझुनू, राजस्थान
- अभिषेक अजयकुमार पांडे (29) – अहमदाबाद, गुजरात
- श्रीमय परेश शाह (31) – अहमदाबाद, गुजरात
- लक्ष्मण अमर सिंह शेखावत (28) – अहमदाबाद, गुजरात
- एरॉन अरुमन क्रिश्चियन (29) – अहमदाबाद, गुजरात
तीन अन्य आरोपी – करन शेखावत, संजय मोरे और केतन रवानी – फरार हैं और उनकी तलाश जारी है।

प्रतिदिन करते थे लाखों की ठगी
पुलिस के अनुसार, यह कॉल सेंटर प्रतिदिन लगभग ₹25 लाख (~$30,000) की ठगी करता था, जिससे मासिक टर्नओवर ₹6 से ₹7 करोड़ तक पहुंचता था। कर्मचारियों को ₹25,000 मासिक वेतन नकद में दिया जाता था। कॉल सेंटर का मास्टरमाइंड करन शेखावत बताया गया है, जो अभी फरार है।

पुलिस ने 123 लोगों को मोके से पकड़ा है
पुलिस ने सभी 123 कर्मचारियों को आरोपी नामित किया है और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। सभी कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है और उनकी संलिप्तता के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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ये पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है
यह मामला भारत में संचालित अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधों की गंभीरता को उजागर करता है। पुलिस की तत्परता और समन्वित कार्रवाई से इस बड़े रैकेट का पर्दाफाश संभव हो पाया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधों के खिलाफ सतर्कता और कठोर कार्रवाई आवश्यक है।