दिल्ली विश्वविद्यालय: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के रामजस कॉलेज में एक स्टूडेंट द्वारा सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाए जाने के बाद कॉलेज प्रशासन और विभिन्न छात्र संगठनों के बीच तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली है।
23 दिसंबर को एक बीकॉम की छात्रा ने कॉलेज के कॉमर्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। इसके बाद कॉलेज की इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी (ICC) ने मामले की जांच शुरू कर दी है। मामला 2 दिसंबर का है, जब आरोपी प्रोफेसर ने कथित तौर पर स्टूडेंट के साथ आपत्तिजनक व्यवहार किया था।
इस घटना ने रामजस कॉलेज के भीतर तनाव का माहौल पैदा कर दिया है, क्योंकि स्टूडेंट्स और विभिन्न छात्र संगठनों ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है। कॉलेज प्रशासन ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए ICC को जांच का जिम्मा सौंपा है, वहीं आरोपित प्रोफेसर ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए इसे छात्रा की ओर से झूठा आरोप करार दिया है।
क्राइम एपिसोड
दिल्ली विश्वविद्यालय: आरोप और शिकायत का विवरण
23 दिसंबर को जब छात्रा ने शिकायत की, तो उसने बताया कि 2 दिसंबर को कॉमर्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ने लिफ्ट में उसके साथ अश्लील हरकत की थी। साथ ही, प्रोफेसर ने उसे धमकी दी कि अगर उसने इस घटना के बारे में किसी को बताया, तो उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा। छात्रा ने बताया कि प्रोफेसर ने उससे आपत्तिजनक बातें की, जिससे वह काफी परेशान हो गई थी। इस घटना के बाद वह मानसिक तनाव में आ गई और कॉलेज प्रशासन से सहायता की गुहार लगाई।
प्रिंसिपल डॉ. अजय अरोड़ा ने मामले की गंभीरता को समझते हुए स्टूडेंट से संपर्क किया और उससे लिखित शिकायत मांगी। इसके बाद स्टूडेंट ने इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी (ICC) को शिकायत दर्ज कराई, जिस पर कॉलेज प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू की।
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दिल्ली विश्वविद्यालय: प्रोफेसर ने मामले पर मीडिया से प्रतिक्रिया देने से किया इनकार
दिल्ली विश्वविद्यालय: वहीं, आरोपित प्रोफेसर ने आरोपों से साफ इनकार किया है। उनका कहना है कि यह आरोप पूरी तरह से झूठे हैं और छात्रा ने उन्हें बदनाम करने के लिए यह आरोप लगाए हैं। प्रोफेसर का कहना है कि वह केवल अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे और जब स्टूडेंट्स की अटेंडेंस शॉर्ट थी, तो उन्होंने एग्जाम और प्रैक्टिकल्स में ना बैठने के लिए चेतावनी दी थी। प्रोफेसर के अनुसार, इस चेतावनी के बाद कुछ स्टूडेंट्स ने उन पर जानबूझकर झूठा आरोप लगाया है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ अन्य टीचर्स ने छात्रों को उकसाया और उनके खिलाफ इस तरह के आरोप लगाए। हालांकि, प्रोफेसर ने इस मामले को लेकर मीडिया से कोई और प्रतिक्रिया नहीं दी।
दिल्ली विश्वविद्यालय: छात्र संगठनों ने रामजस कॉलेज मामले में जांच की मांग की
इस मामले के सामने आने के बाद विभिन्न छात्र संगठनों ने कॉलेज प्रशासन और विश्वविद्यालय से जांच की मांग की है। दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (डूसू) ने विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की है। डूसू प्रेजिडेंट रौनक खत्री ने कहा कि संगठन ने स्टूडेंट से मिलने की कोशिश की, लेकिन वह सामने नहीं आई। उन्होंने कहा, “हमने आरोपित प्रोफेसर से भी मुलाकात की है, जिन्होंने आरोपों से इनकार किया है। हम चाहते हैं कि मामले की सही तरीके से जांच हो और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।”
इसके साथ ही, आइसा, एबीवीपी, एसएफआई, एनएसयूआई और दिशा जैसे विभिन्न छात्र संगठन भी इस मामले में सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने जांच की मांग की है। इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रिंसिपल से मुलाकात की और प्रोफेसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है।
एसएफआई और अन्य लेफ्ट संगठनों ने मांग की है कि प्रोफेसर पर पहले भी ऐसे आरोप लग चुके हैं, इसलिए जांच की रिपोर्ट आने तक उन्हें सस्पेंड किया जाना चाहिए। यह आरोप भी लगाया गया है कि प्रोफेसर के खिलाफ पहले भी 2021 में एक छात्रा ने सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया था, लेकिन उस मामले की जांच सही तरीके से नहीं की गई।
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छात्रों का कहना है कि प्रोफेसर के खिलाफ पहले भी आरोप थे
रामजस कॉलेज के छात्रों का कहना है कि इस प्रोफेसर के खिलाफ पहले भी कई मामले उठ चुके हैं। एक छात्रा ने बताया कि प्रोफेसर क्लास में भी कई बार आपत्तिजनक बातें करते थे। एक अन्य छात्र ने कहा, “यह मामला पहले भी सामने आया था, लेकिन उस समय सही कार्रवाई नहीं की गई। प्रोफेसर का व्यवहार हमेशा ऐसा ही रहा है।”
इस मामले ने कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। छात्रों का आरोप है कि पहले भी कई बार आरोपित प्रोफेसर के खिलाफ शिकायतें आईं, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने कभी गंभीरता से कार्रवाई नहीं की।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
कॉलेज प्रशासन ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए ICC को जांच सौंप दी है। प्रिंसिपल डॉ. अजय अरोड़ा ने कहा, “हमने स्टूडेंट की शिकायत को गंभीरता से लिया है और जांच शुरू कर दी है। अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
इसी बीच, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि वे इस मामले की पूरी तरह से जांच करेंगे और जो भी निष्कर्ष निकलेगा, उसके आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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आरोपित प्रोफेसर और कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर गहरा सवाल
रामजस कॉलेज में हुई इस घटना ने शिक्षा संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा और उनकी गरिमा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में न केवल आरोपित प्रोफेसर का आचरण विवादों में आया है, बल्कि कॉलेज प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। छात्रों और छात्र संगठनों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
इस मामले में जो भी निष्कर्ष निकलता है, वह दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य कॉलेजों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा कि कैसे ऐसे आरोपों पर गंभीरता से कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि छात्रों को सुरक्षित वातावरण मिल सके और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।