देशभर में 28 शिकायतें करोड़ों की ठगी — दिल्ली में चीनी नेटवर्क के तीन एजेंट गिरफ्तार

देशभर में 28 शिकायतें: दिल्ली की सड़कों और गलियों से अपराध का खात्मा करने का दावा करने वाली राजधानी पुलिस के सामने एक बार फिर ऐसा मामला आया है जिसने न केवल दिल्ली बल्कि देशभर के साइबर सिक्योरिटी सिस्टम की पोल खोल दी है।

देशभर में 28 शिकायतें करोड़ों की ठगी — दिल्ली में चीनी नेटवर्क के तीन एजेंट गिरफ्तार
देशभर में 28 शिकायतें करोड़ों की ठगी — दिल्ली में चीनी नेटवर्क के तीन एजेंट गिरफ्तार

मामला है डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी करने वाले एक बेहद शातिर गिरोह का, जिसमें चीनी ठगों के लिए शेल कंपनियां खोलने और बैंक अकाउंट उपलब्ध कराने वाले तीन भारतीय आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

दिल्ली पुलिस की साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट साइबर थाना पुलिस ने इस गिरोह का भंडाफोड़ किया। इस गिरोह के तार न केवल दिल्ली बल्कि महाराष्ट्र, तेलंगाना और विदेशों तक फैले हुए थे। आरोपियों पर आरोप है कि ये चीनी नागरिकों के इशारे पर फर्जी कंपनियां बना कर भारतीय नागरिकों को ठगी का शिकार बनाते थे।

CRIME EPISODE टीपू सुल्तान

क्राइम एपिसोड

देशभर में 28 शिकायतें: कैसे खुला मामला?

इस पूरे मामले का खुलासा हुआ 22 मार्च को सागरपुर इलाके में आयोजित एक एनबीटी सुरक्षा कवच सभा के दौरान, जब एक वरिष्ठ नागरिक ने अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाई। PWD से रिटायर्ड अधिकारी बलिराम ने मंच से बताया कि किस तरह उन्हें एक दिन वॉट्सऐप कॉल आई, जिसमें खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का अफसर बताने वाले शख्स ने उनसे कहा कि उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है और CBI उन्हें जल्द संपर्क करेगी।

बलिराम ने इस बारे में गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने तेजी से जांच शुरू की।

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डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट दरअसल एक नई किस्म की ऑनलाइन ठगी है, जिसमें जालसाज खुद को पुलिस, CBI या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर वीडियो कॉल पर पीड़ित से संपर्क करते हैं। फिर उसे डरा-धमका कर उसकी पर्सनल डिटेल, बैंक डिटेल, और फिर पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं।

इसमें पीड़ित को ये कहकर तीन से चार दिन तक लगातार कॉल कर मानसिक रूप से डराया जाता है कि यदि उसने पैसा ट्रांसफर नहीं किया तो पुलिस घर आकर गिरफ्तार कर लेगी या उसका बैंक अकाउंट जब्त हो जाएगा।

कैसे करते थे ठगी?

जांच में सामने आया कि ये आरोपी चीनी ठगों के संपर्क में रहते थे। उनके इशारे पर भारत में शेल कंपनियां खोलते और बैंक अकाउंट बनवाते। इन अकाउंट्स में चीनी ठग, भारत और दूसरे देशों के लोगों से ठगी गई रकम मंगवाते थे। इन अकाउंट्स से पैसे निकालने के बाद कंपनियां बंद कर दी जाती थीं।

इस गिरोह ने ठगी की रकम को सफेद दिखाने के लिए कंपनियों के नाम पर फर्जी कोर्ट, नोटरी ऑफिस और CBI अधिकारियों की मुहरें तक बनवा रखी थीं। यही नहीं, आरोपियों ने फर्जी जज और वकील भी खड़े कर लिए थे, ताकि वीडियो कॉल पर पीड़ित को विश्वास दिलाया जा सके कि असली अदालत में पेशी हो रही है।

28 राज्यों में दर्ज थीं शिकायतें

दिल्ली पुलिस ने बताया कि इस गिरोह के खिलाफ गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल पर 28 राज्यों से 28 शिकायतें दर्ज थीं। सभी शिकायतों में एक ही पैटर्न दिखा — पहले डराना, फिर डिजिटल अरेस्ट करना और फिर बैंक डिटेल लेकर अकाउंट खाली करना।

कैसे हुई गिरफ्तारी?

डीसीपी सुरेंद्र चौधरी के मुताबिक, इंस्पेक्टर विकास कुमार की देखरेख में एक टीम बनाई गई। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि इस ठगी में जिन अकाउंट्स का इस्तेमाल हुआ था, उनमें से कई एलएन टेक्नॉलजी (ओपीसी) प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के थे।

इसके बाद टीम ने इन अकाउंट्स से जुड़े मोबाइल नंबरों को ट्रैक किया और हैदराबाद (तेलंगाना) जाकर थुंगा राजकुमार को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ में एक और शेल कंपनी यूकीन प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आया, जिसके निदेशक कपिल रामभाऊ पाटिल को जलगांव (महाराष्ट्र) से गिरफ्तार किया गया।

इसके बाद कपिल की निशानदेही पर एक अन्य आरोपी पुष्कर चंद्रकांत पखले को भी जलगांव से पकड़ा गया।

आरोपियों का प्रोफाइल

  • पुष्कर पखले: एमबीए पास, लोगों के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाता था।
  • कपिल पाटिल: ग्रैजुएट, शेल कंपनियों के अकाउंट ऑपरेट करता था।
  • थुंगा राजकुमार: तेलंगाना निवासी, ठगी की रकम इकट्ठा कर चीनी ठगों तक पहुंचाता था।

कौन है बाबा?

इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड एक शख्स बाबा बताया जा रहा है, जो अभी फरार है। पुलिस के अनुसार बाबा का सीधा संपर्क विदेश में बैठे चीनी साइबर ठगों से है। यही बाबा भारत में शेल कंपनी और बैंक अकाउंट्स खुलवाने के लिए इन तीनों आरोपियों को कमीशन देता था।

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कोर्ट में क्या कहा पुलिस ने?

पुलिस ने अदालत को बताया कि इस गिरोह ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर न केवल बलिराम, बल्कि कई और बुजुर्गों को भी शिकार बनाया। अदालत ने तीनों आरोपियों को पुलिस रिमांड में भेज दिया है। पुलिस अब इनके जरिए बाकी नेटवर्क तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

कितना बड़ा नेटवर्क?

पुलिस के मुताबिक, अब तक की जांच में 10 से ज्यादा शेल कंपनियों और 50 से अधिक बैंक अकाउंट्स का पता चला है, जिनमें ठगी की रकम जमा होती थी। इन अकाउंट्स में कुल रकम करोड़ों में बताई जा रही है। पुलिस का कहना है कि इस नेटवर्क की जड़ें दिल्ली, तेलंगाना, महाराष्ट्र और हांगकांग तक फैली हैं।

डिजिटल सुरक्षा पर सवाल

इस गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद एक बार फिर देशभर में डिजिटल सिक्योरिटी और साइबर क्राइम कंट्रोल को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सवाल ये कि कैसे बिना वेरिफिकेशन के इतनी बड़ी संख्या में शेल कंपनियां और बैंक अकाउंट खोले जा रहे हैं?

पुलिस की अपील

पुलिस ने लोगों से अपील की है कि

  • किसी भी अनजान वॉट्सऐप या वीडियो कॉल पर सरकारी अधिकारी बन कर डरा-धमका कर पैसे मांगने वाले से सतर्क रहें।
  • ऐसी कोई भी कॉल आने पर तुरंत 1930 या साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।
  • कभी भी कोर्ट, CBI या पुलिस का नाम लेकर मांगे जा रहे पैसों का भुगतान न करें।
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डिजिटल ठगी का शिकार बन रहे बुजुर्ग और महिलाएं

इस पूरे मामले ने देशभर के साइबर सिक्योरिटी सिस्टम को हिला कर रख दिया है। जिस तरह चीनी ठग भारतीय नागरिकों को अपना निशाना बना रहे हैं और भारतीय जालसाज उनके लिए यहां नेटवर्क तैयार कर रहे हैं, वो बेहद गंभीर है।

दिल्ली पुलिस की ये कार्रवाई भले ही सराहनीय है, लेकिन आने वाले समय में देश के लिए ये बड़ा सबक भी है कि साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करना ही होगा। वरना इसी तरह बुजुर्ग, महिलाएं और आम लोग इस डिजिटल ठगी का शिकार होते रहेंगे।

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