दोस्ती के नाम पर रेप: में अपराधों की फेहरिस्त में एक और बेहद शर्मनाक और दर्दनाक घटना 2018 में दर्ज हुई थी, जिसमें दोस्ती के नाम पर एक युवती के साथ न सिर्फ बलात्कार किया गया, बल्कि उस घिनौनी हरकत का वीडियो भी बनाकर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया गया।

मामला देश की राजधानी के नारायणा इलाके का है। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपी की याचिका खारिज करते हुए बेहद सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि दोस्ती में विश्वासघात करना, फिर पीड़िता की गरिमा और निजता का हनन करना, समाज के लिए बेहद खतरनाक उदाहरण है।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
दोस्ती के नाम पर रेप: कैसे शुरू हुआ था पूरा मामला?
दोस्ती के नाम पर रेप: यह मामला 29 सितंबर 2018 की रात का है। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया था कि वह और एक अन्य लड़की अपने कुछ दोस्तों के साथ पार्टी करने के लिए नारायणा स्थित ट्विन ट्री होटल गई थी। वहां उसके दोस्त और आरोपी ने जबरन उसे शराब पिलाई। पीड़िता के मुताबिक, जब वह नशे की हालत में होश खो बैठी, तो आरोपियों ने उसके साथ बलात्कार किया।
इतना ही नहीं, इन दरिंदों ने इस घिनौनी हरकत का वीडियो भी बना लिया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि जब उसने इस घटना का विरोध किया, तो आरोपियों ने उसे वीडियो वायरल करने और परिवार को बदनाम करने की धमकी दी।
वीडियो वायरल करने की धमकी और मानसिक प्रताड़ना
कुछ ही दिनों बाद, आरोपियों ने पीड़िता के परिवार, रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों के बीच इस अश्लील वीडियो को साझा कर दिया। इससे पीड़िता की सामाजिक स्थिति पर बेहद बुरा असर पड़ा और वह डिप्रेशन में चली गई। फिर, हिम्मत जुटाकर 18 अक्टूबर 2018 को उसने नारायणा पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई।
एफआईआर दर्ज होने के बाद एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जबकि दूसरा आरोपी, जो इस मामले में अब अपीलकर्ता है, फरार हो गया।
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साढ़े तीन साल तक फरार रहा आरोपी
दोस्ती के नाम पर रेप: पुलिस को इस फरार आरोपी की तलाश में करीब साढ़े तीन साल लगे। आखिरकार, 28 जुलाई 2022 को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू की।
ट्रायल कोर्ट का सख्त रुख और आरोप तय
4 जून 2024 को ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता के खिलाफ सामूहिक बलात्कार, बेहोशी की हालत में बलात्कार करना, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) के तहत निजी तस्वीरें और वीडियो प्रसारित करना, अश्लील सामग्री साझा करना, धमकी देना जैसे गंभीर आरोप तय किए। इन अपराधों में अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
आरोपी ने दी याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की
इसके खिलाफ आरोपी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी। उसने कई दलीलें दीं — जैसे एफआईआर 20 दिन बाद क्यों दर्ज हुई, पीड़िता को ज्यादा आपत्ति वीडियो वायरल होने पर है, बलात्कार नहीं हुआ था, आपसी सहमति से संबंध बने थे और एफआईआर में कई खामियां हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने उसके सभी तर्क खारिज कर दिए।
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दोस्ती के नाम पर विश्वासघात और गरिमा का हनन
दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि इस मामले में आरोपी और पीड़िता दोस्त थे। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जो आपसी विश्वास, सम्मान और व्यक्तिगत सीमाओं पर टिका होता है। लेकिन आरोपी ने इस भरोसे का गंभीर उल्लंघन किया।
कोर्ट ने कहा, “यौन अपराधों की शिकार महिलाओं को सामाजिक कलंक, डर और धमकी का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि कई बार वे तुरंत शिकायत नहीं कर पातीं। ऐसे में एफआईआर में देरी को संदेह का कारण नहीं माना जा सकता।”
वीडियो के प्रसारण से सिद्ध होती है पीड़िता की बात
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता का यह दावा कि उसका बलात्कार किया गया और उसका वीडियो बनाया गया, प्रथम दृष्टया उस वायरल हुए वीडियो से सिद्ध होता है। एक अश्लील वीडियो का सार्वजनिक होना, पीड़िता की मानसिक स्थिति और अपमान का बड़ा कारण है।
कोर्ट ने ये भी कहा कि सहमति के नाम पर इस तरह की आपराधिक हरकतें किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं।
ट्रायल कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट की मुहर
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बिल्कुल सही ठहराते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ सभी आरोप प्रथम दृष्टया सिद्ध होते हैं। लिहाजा उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना उचित है। हाईकोर्ट ने कहा कि जिस तरह से पीड़िता को नशा पिलाकर रेप किया गया और वीडियो बनाया गया, वो घोर अमानवीय है।
ऐसी हरकतें समाज के लिए खतरा
कोर्ट ने अपने फैसले में समाज को भी संदेश देते हुए कहा कि दोस्ती का रिश्ता पवित्र होता है। दोस्ती की आड़ में यौन शोषण और निजी तस्वीरें वायरल करने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे ना सिर्फ महिलाओं की गरिमा का हनन होता है, बल्कि समाज में डर और अविश्वास का माहौल भी बनता है।
कोर्ट ने दो टूक कहा — ‘‘कोई भी दोस्त इस हद तक नहीं जा सकता कि अपनी दोस्त की जिंदगी तबाह कर दे। ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठाना ही होगा।’’
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और नारायणा थाने की पुलिस ने इस मामले में लंबी जांच की। कई तकनीकी पहलुओं की जांच की गई। मोबाइल लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज और सोशल मीडिया अकाउंट्स की निगरानी के बाद आरोपी की लोकेशन ट्रेस की गई।
फरार आरोपी को भी क्राइम ब्रांच की टीम ने एक मुखबिर की सूचना पर पकड़ लिया।
पीड़िता की गवाही पूरी अगली सुनवाई जल्द
इस मामले में पीड़िता की अदालत में गवाही भी पूरी हो चुकी है। एक अन्य आरोपी के खिलाफ भी ट्रायल कोर्ट में मुकदमा जारी है। दोनों पर आईपीसी की धारा 376डी, 328, 506 और आईटी एक्ट की धारा 67, 67ए और 66ई के तहत आरोप तय किए गए हैं।

कानून के शिकंजे में दरिंदे
इस केस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अपराधी चाहे जितनी भी चालाकी कर ले, कानून के हाथ लंबे होते हैं। भले ही आरोपी साढ़े तीन साल तक फरार रहा, लेकिन आखिरकार पुलिस और कोर्ट ने पीड़िता को इंसाफ दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
इस फैसले से उन महिलाओं को भी हौसला मिलेगा, जो सामाजिक डर के कारण अपनी आवाज नहीं उठा पातीं। हाईकोर्ट का यह फैसला यौन अपराध के मामलों में न्याय की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।