नशा मुक्त भारत: दिल्ली के बाहरी जिले में “नशा मुक्त भारत” (#नशा_मुक्त_भारत) अभियान के तहत एक जबरदस्त कार्रवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की एंटी नारकोटिक्स टीम ने कोडीन युक्त दवाओं और ट्रामाडोल कैप्सूल की अवैध आपूर्ति में लिप्त दो आरोपियों को गिरफ्तार कर एक संगठित नशीले पदार्थों के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है।

यह कार्रवाई न केवल अवैध दवा व्यापार पर करारा प्रहार है, बल्कि इसे भारत सरकार की “ड्रग-फ्री इंडिया” पहल को सफल बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम भी माना जा रहा है।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत और नेतृत्व
इस ऑपरेशन का संचालन श्री सचिन शर्मा, उपायुक्त पुलिस (बाहरी जिला) के कुशल मार्गदर्शन और एसीपी/ऑपरेशन्स श्री नरेंद्र खत्री की निगरानी में किया गया। अभियान का नेतृत्व इंस्पेक्टर रितेश ने किया, जिनके साथ एसआई उदित, एसआई कृष्ण, एचसी जसवंत, एचसी संदीप, एचसी राजेश, कांस्टेबल संदीप, कांस्टेबल सोनिका, एचसी रितु और एचसी प्रियंका जैसे समर्पित पुलिसकर्मी शामिल थे।
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सूचना- छापेमारी और पहली गिरफ्तारी
दिनांक 07 मई 2025 को एंटी नारकोटिक्स स्क्वॉड को मानवीय खुफिया सूचना प्राप्त हुई कि एक व्यक्ति नीरज कुमार नामक व्यक्ति, टिकरी बॉर्डर, दिल्ली के पास कोडीन युक्त दवाओं की अवैध बिक्री में संलिप्त है।
सूचना की पुष्टि होते ही टीम ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए इलाके में छापेमारी की। तलाशी के दौरान नीरज कुमार के पास से 38 बोतलें (प्रत्येक 100 मि.ली.) कोडीन युक्त दवा तथा 144 ट्रामाडोल कैप्सूल (कुल वजन 96.48 ग्राम) बरामद किए गए।
इसके बाद, एफआईआर संख्या 255/2025 के तहत, NDPS एक्ट 1985 की धारा 22(c) और 8(c) तथा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 18(c) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई।
बड़ी बरामदगी और नेटवर्क का भंडाफोड़
पूछताछ के दौरान नीरज कुमार ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। पुलिस ने तकनीकी निगरानी के माध्यम से जानकारी प्राप्त की कि नशीली दवाएं दिल्ली के टिकरी कलां क्षेत्र में बाबा हरिदास कॉलोनी में छिपाकर रखी गई हैं। तत्परता से की गई एक और छापेमारी में पुलिस ने वहां से 1,732 बोतलें (प्रत्येक 100 मि.ली.) कोडीन युक्त दवा और अन्य सामग्री बरामद की। कुल मिलाकर यह संख्या 1770 बोतलें (177 लीटर) तक पहुँच गई, जो NDPS एक्ट के तहत “व्यावसायिक मात्रा (commercial quantity)” की सीमा को कई गुना पार करती है।
इस बड़ी मात्रा में नशीली दवाओं की बरामदगी से यह स्पष्ट हुआ कि यह मामला केवल व्यक्तिगत उपभोग का नहीं, बल्कि व्यवस्थित फार्मास्युटिकल तस्करी नेटवर्क से जुड़ा है।

स्रोत की गिरफ्तारी और गहन जांच
नीरज कुमार की निशानदेही पर पुलिस ने एक और आरोपी विजय उर्फ विजेंदर को गिरफ्तार किया, जो हरियाणा के बहादुरगढ़ का रहने वाला है और ज्वालापुरी, दिल्ली में एक मेडिकल स्टोर चला रहा था। पूछताछ में पता चला कि उसने नीरज को 6 मई 2025 को 1,200 बोतलें अवैध रूप से सप्लाई की थीं।
एक औषधि निरीक्षक को बुलाकर स्टोर की स्टॉक रजिस्टर की जांच करवाई गई, जिसमें गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। विजय ने स्वीकार किया कि वह पहले सुल्तानपुरी में केमिस्ट का काम कर चुका है और अक्टूबर 2024 से इस मेडिकल स्टोर का संचालन कर रहा था।
गिरफ्तार आरोपियों की जानकारी
विजय उर्फ विजेंदर
निवासी: बहादुरगढ़, हरियाणा
आयु: 55 वर्ष
व्यवसाय: मेडिकल स्टोर संचालक
भूमिका: कोडीन-आधारित दवाओं का मुख्य स्रोत
नीरज कुमार
निवासी: लद्रावण, हरियाणा
आयु: 41 वर्ष
भूमिका: थोक मात्रा में नशीली दवाओं का वितरणकर्ता
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बरामद सामग्री
🔹 कुल 1770 बोतलें कोडीन-आधारित दवा (100 मि.ली. प्रति बोतल — कुल 177 लीटर, व्यावसायिक मात्रा)
🔹 144 ट्रामाडोल कैप्सूल (कुल वजन 96.48 ग्राम — इंटरमीडिएट मात्रा)
कानूनी कार्रवाई और आगे की योजना
वर्तमान में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ NDPS एक्ट की धारा 29 (षड्यंत्र) को भी जोड़ा गया है। शेष सह-आरोपियों की तलाश की जा रही है और तकनीकी जांच के जरिए नेटवर्क से जुड़े अन्य संपर्कों की पहचान की जा रही है।
अभियान की सफलता और महत्व
यह कार्रवाई न केवल बाहरी जिले की एंटी नारकोटिक्स टीम की तत्परता और कुशलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि दिल्ली पुलिस संगठित नशा तस्करी के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है।
“नशा मुक्त भारत” अभियान को ज़मीन पर सफल बनाने में इस प्रकार की रणनीतिक और दृढ़ कार्रवाई अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पुलिस नेतृत्व की सराहना
सचिन शर्मा, आईपीएस, उपायुक्त, बाहरी जिला के निर्देशन में इस तरह की कार्रवाइयाँ समाज में नशे के खिलाफ जागरूकता और डर दोनों पैदा करने में कारगर सिद्ध हो रही हैं।

संगठित नशा तस्करी पर पुलिस की कड़ी निगरानी
यह मामला केवल दो आरोपियों की गिरफ्तारी या 177 लीटर कोडीन-आधारित दवा की बरामदगी तक सीमित नहीं है। यह अभियान उन लाखों युवाओं के भविष्य की रक्षा करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है जो नशे की चपेट में आने की आशंका रखते हैं।
बाहरी जिला पुलिस, अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करते हुए, ऐसे संगठित अपराधों पर लगाम लगाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी प्रकार के सक्रिय और तकनीकी सहयोग से “नशा मुक्त भारत” का सपना जल्द साकार हो सकेगा।