नेब सराय बैंकिंग फ्रॉड: नई दिल्ली- दिल्ली के नेब सराय इलाके में एक व्यक्ति के साथ साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है।

इस धोखाधड़ी में आरोपित ने खुद को एचडीएफसी बैंक का अधिकारी बताकर फोन पर ओटीपी (One-Time Password) लेकर पीड़ित के खाते से एक लाख 17 हजार रुपये से अधिक की राशि निकाल ली। यह घटना इस समय चर्चा में है क्योंकि धोखाधड़ी का तरीका पूरी तरह से बैंकिंग के नए तरीकों और डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों का प्रतीक है। पीड़ित ने बाद में साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई और अब पुलिस मामले की जांच कर रही है।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
नेब सराय बैंकिंग फ्रॉड: घटना की शुरुआत और धोखाधड़ी का तरीका
नेब सराय बैंकिंग फ्रॉड: साइबर धोखाधड़ी का शिकार बने व्यक्ति का नाम रणबीर सिंह बलहारा है। वे दिल्ली के नेब सराय एक्सटेंशन सैनिक फार्म इलाके में अपने परिवार के साथ रहते हैं। रणबीर सिंह को एक दिन अचानक उनके मोबाइल पर एक फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को एचडीएफसी बैंक का अधिकारी बताया और कहा कि उनका क्रेडिट कार्ड बंद किया जा रहा है। उसने यह भी दावा किया कि यह एक नियमित प्रक्रिया है और इसके लिए उन्हें कुछ ओटीपी (One-Time Password) की जरूरत होगी।
रणबीर सिंह को बैंक अधिकारी की आवाज और उसका पेशेवर तरीका देखकर कोई शक नहीं हुआ और उन्होंने ओटीपी देने में कोई आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने तीन बार ओटीपी दिए, जैसा कि धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति ने कहा था। ओटीपी देने के बाद आरोपी ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनका क्रेडिट कार्ड अब हमेशा के लिए बंद हो गया है। यह सुनकर रणबीर सिंह ने कोई अन्य सवाल नहीं पूछा और इसे एक सामान्य बैंक प्रक्रिया मान लिया।
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नेब सराय बैंकिंग फ्रॉड: ठगी का असली चेहरा सामने आता है
नेब सराय बैंकिंग फ्रॉड: कुछ समय बाद, रणबीर सिंह को एचडीएफसी बैंक के कस्टमर केयर से एक फोन आया। इस बार फोन करने वाले ने बताया कि उनके क्रेडिट कार्ड से कुछ खरीदारी की गई है। यह सुनकर रणबीर सिंह को हैरानी हुई, क्योंकि उन्होंने अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग किसी भी प्रकार की खरीदारी के लिए नहीं किया था। उन्होंने बैंक अधिकारी से यह स्पष्ट किया कि उनका क्रेडिट कार्ड पहले ही बंद कर दिया गया था और उन्होंने कभी भी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं किया।
बैंक के कस्टमर केयर अधिकारी ने उन्हें बताया कि उनके क्रेडिट कार्ड से कुल तीन बार में एक लाख 17 हजार रुपये से अधिक की रकम निकाल ली गई थी। यह सुनकर रणबीर सिंह चौंक गए और तुरंत मामले की जांच करने की कोशिश की। उन्होंने कस्टमर केयर से बात की और पाया कि उनकी जानकारी के बिना और बिना उनकी अनुमति के ही यह रकम उनके खाते से निकाली गई थी। तब उन्होंने यह समझा कि वह ठगी का शिकार हो चुके हैं।
पीड़ित ने की शिकायत और पुलिस ने की कार्रवाई
रणबीर सिंह ने तुरंत इस धोखाधड़ी की जानकारी साइबर थाने को दी और उनकी शिकायत पर मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने साइबर थाने में शिकायत के आधार पर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की धोखाधड़ी के मामलों में अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने यह भी कहा कि इस प्रकार की धोखाधड़ी में कई तकनीकी पहलू शामिल होते हैं, जिनमें ओटीपी के माध्यम से धोखाधड़ी की जाती है। आरोपी धोखाधड़ी के लिए फोन कॉल, संदेश और अन्य डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हैं, जिससे व्यक्ति को यह विश्वास हो जाता है कि वे वास्तव में बैंक से ही बात कर रहे हैं। इस मामले में भी यही हुआ, जहां आरोपी ने बैंक अधिकारी बनकर ओटीपी लिए और फिर अकाउंट से पैसे निकालने में सफल रहे।
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आधुनिक साइबर धोखाधड़ी के तरीके
यह मामला सिर्फ एक उदाहरण है, लेकिन साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी सतर्क रहें। आजकल साइबर अपराधी विभिन्न प्रकार के धोखाधड़ी के तरीके अपनाते हैं, जिनमें बैंक अधिकारियों का रूप धारण करके लोगों से व्यक्तिगत जानकारी और ओटीपी प्राप्त करना, फिर उनका खातों से पैसा निकाल लेना शामिल है।
साइबर ठग अक्सर यह दावा करते हैं कि वे बैंक के कर्मचारी हैं और खाते से जुड़ी कोई समस्या सुलझाने के लिए वे ओटीपी की मांग करते हैं। बैंक कभी भी अपने ग्राहकों से ओटीपी कॉल के माध्यम से नहीं मांगता, और न ही वह ग्राहकों से कभी अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे पिन नंबर या पासवर्ड मांगता है।
इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों में जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोगों को यह समझना होगा कि वे फोन पर किसी भी कॉल या संदेश का जवाब देते समय सतर्क रहें। बैंक कभी भी अपने ग्राहकों से ओटीपी या व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगता है। यदि ऐसा कुछ होता है, तो यह धोखाधड़ी का हिस्सा हो सकता है।
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क्या करें जब आप भी साइबर धोखाधड़ी का शिकार हों
अगर कोई व्यक्ति भी साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है, तो उसे तुरंत अपनी बैंक से संपर्क करना चाहिए और खाते को ब्लॉक करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। इसके बाद संबंधित पुलिस स्टेशन में साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करानी चाहिए। इसके अलावा, सभी लेन-देन की जानकारी और ओटीपी के जरिए किए गए किसी भी लेन-देन का पूरा विवरण पुलिस को देना चाहिए।

साइबर अपराधियों से बचने के लिए डिजिटल सुरक्षा पर जोर
नेब सराय में हुए इस साइबर धोखाधड़ी के मामले ने यह फिर से सिद्ध कर दिया है कि हमें डिजिटल लेन-देन करते समय कितनी सतर्कता बरतनी चाहिए। जब तक हम जागरूक नहीं होंगे, तब तक इस तरह के अपराधों को रोका नहीं जा सकता। यह घटना एक चेतावनी है कि हमें अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखने के साथ-साथ साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही आरोपियों को पकड़ा जाएगा।