बम धमाके और वसूली: भारत में संगठित अपराध की दुनिया एक नए मोड़ पर पहुँच गई है, जहाँ गैंगस्टर्स अब सिर्फ बंदूक और धमकी तक सीमित नहीं हैं।

वे बम धमाके और आतंक के नए तरीकों को अपनाकर व्यापारियों और उद्योगपतियों से भारी रकम वसूल रहे हैं। यह मॉडस ऑपरेंडी देश की सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस के लिए नई चुनौती पेश कर रही है।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
बम धमाके और वसूली: बिश्नोई गैंग के निशाने पर कारोबारी
बम धमाके और वसूली: राजस्थान के गैंगस्टर रोहित गोदारा ने हाल ही में दिल्ली के एक सट्टा कारोबारी नितिन जैन उर्फ सुसु से दस करोड़ रुपये की मांग की। इस धमकी में गोदारा ने सुसु और उनके परिवार को बम से उड़ाने की धमकी दी। गोदारा लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का सक्रिय सदस्य है और विदेश में रहकर यह नेटवर्क चला रहा है। उसने नितिन जैन के पिता प्रदीप जैन को पहले भी धमकी दी थी। पुलिस ने प्रदीप जैन को सुरक्षा मुहैया कराई है, लेकिन गोदारा लगातार धमकियों और धमाकों के जरिए दबाव बना रहा है।
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बम धमाके और वसूली: बम धमाकों की शुरुआत
दिल्ली में बम धमाकों से जुड़े ऐसे मामले पहली बार सामने आए हैं। हालांकि, चंडीगढ़ और गुड़गांव में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह पहले ही इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुका है। चंडीगढ़ में 26 नवंबर को एक व्यक्ति के घर के बाहर दो बार देसी बम फेंके गए। पंजाब पुलिस ने इस मामले में एनकाउंटर कर दो बदमाशों को गिरफ्तार किया। उन्होंने खुलासा किया कि विदेश में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बराड़ के कहने पर यह धमाके किए गए थे।
गुड़गांव में भी 10 दिसंबर को एक क्लब के बाहर दो बम फेंके गए, जिसमें मेरठ के सचिन तालियान को मौके पर गिरफ्तार किया गया। तालियान के पास दो और बम बरामद हुए। उसने खुद को गोल्डी बराड़ का आदमी बताते हुए कहा कि बॉस की बात न मानने पर उसे धमाके करने को मजबूर किया गया।
सोशल मीडिया पर धमकियों का सिलसिला
गैंगस्टर रोहित गोदारा ने सोशल मीडिया पर बम धमाकों की जिम्मेदारी लेते हुए लिखा, “जुआ, सट्टेबाजी, हवाला कारोबारी और डांस क्लब को टैक्स देना होगा। यह धमाके सिर्फ एक डेमो हैं। इससे भी बड़े धमाके हो सकते हैं, जो डांस बार बिखेर देंगे।” इस तरह के बयान गैंगस्टर्स की संगठित और सुनियोजित गतिविधियों को दर्शाते हैं।
आतंकी संगठनों से गठजोड़
गैंगस्टर गिरोहों का आतंकी संगठनों से जुड़ाव अब स्पष्ट हो चुका है। गोल्डी बराड़, जो लॉरेंस बिश्नोई का करीबी है, को भारत सरकार ने आतंकी घोषित किया है। वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल और कनाडा में रह रहे खालिस्तानी आतंकी लखबीर सिंह लांडा के साथ मिलकर काम कर रहा है। लांडा ने 2022 में पंजाब पुलिस हेडक्वार्टर और तरतारन में रॉकेट हमले करवाए थे।
डेड ड्रॉप मॉडल का इस्तेमाल
केंद्रीय जांच एजेंसियों का दावा है कि गैंगस्टर्स और आतंकी संगठनों द्वारा डेड ड्रॉप मॉडल अपनाया जा रहा है। इस मॉडल में हैंडलर, जो अक्सर विदेश में होते हैं, पहले टारगेट चुनते हैं। इसके बाद, भरोसेमंद गुर्गों को हथियार और बम पहुंचाए जाते हैं। इन हथियारों की लोकेशन और प्लानिंग केवल हैंडलर और गुर्गों को पता होती है। माइक्रोचिप, पेन ड्राइव या डिजिटल चिप्स के जरिए साजिश की पूरी जानकारी गुर्गों तक पहुंचाई जाती है।
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सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती
गैंगस्टर्स द्वारा बम धमाकों का उपयोग पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। अब तक इस्तेमाल किए गए बम कम तीव्रता वाले थे, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ये गैंगस्टर अधिक घातक हमले कर सकते हैं। आतंकियों से जुड़ाव और बम बनाने की क्षमता उन्हें और खतरनाक बना रही है।
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सरकार और एजेंसियों की कार्रवाई
भारत सरकार ने गोल्डी बराड़ और लखबीर सिंह लांडा जैसे अपराधियों को आतंकी घोषित कर इनके खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे संगठनों पर नजर रखी जा रही है। पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां इन गैंगस्टर्स और आतंकियों के गठजोड़ को तोड़ने की कोशिश में लगी हैं।

भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा
गैंगस्टर्स और आतंकियों के इस खतरनाक गठबंधन ने भारत के कानून और सुरक्षा ढांचे के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। बम धमाकों और वसूली के इस आतंक को रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को अधिक प्रभावी और उन्नत रणनीतियों की आवश्यकता है। यह समस्या केवल एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मामला है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इस दिशा में तुरंत और कठोर कदम उठाने होंगे, ताकि देश में बढ़ते अपराध के इस नए चलन पर अंकुश लगाया जा सके।