राजधानी के गैंगस्टर्स: दिल्ली, भारत की राजधानी होने के साथ-साथ, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र भी है।

लेकिन इसके साथ ही यह शहर संगठित अपराध की गतिविधियों का गवाह भी रहा है। पिछले कुछ दशकों में, दिल्ली में कई ऐसे अपराधियों ने जन्म लिया जो अपनी क्रूरता, रणनीति और नेटवर्क के लिए कुख्यात हुए। इस लेख में हम दिल्ली के दस ऐसे अपराधियों की पृष्ठभूमि, उनके अपराध और अंत (या वर्तमान स्थिति) पर एक नजर डालते हैं।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
1. राजधानी के गैंगस्टर्स: सुनील ताजपुरिया उर्फ टिल्लू ताजपुरिया
सुनील ताजपुरिया दिल्ली के सबसे चर्चित गैंगस्टरों में से एक रहा है। वह टिल्लू गैंग का सरगना था, जो दिल्ली और हरियाणा में सक्रिय रहा। उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी जतिंदर गोगी गैंग था। ताजपुरिया का आपराधिक जीवन कॉलेज के दिनों से शुरू हुआ था। साल 2023 में, दिल्ली की तिहाड़ जेल में उसकी हत्या कर दी गई, जिसमें उसके प्रतिद्वंद्वी गैंग के सदस्य शामिल थे।

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2. जतिंदर मान उर्फ गोगी
गोगी उत्तर-पश्चिम दिल्ली से ताल्लुक रखता था और कॉलेज से ही अपराध की दुनिया में कदम रखा। उसका गैंग हत्या, रंगदारी, सुपारी किलिंग और अवैध हथियारों की तस्करी में लिप्त था। 2021 में, दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वकीलों के भेष में दो बदमाश कोर्ट में घुसे।

3. नीरज बवाना
नीरज बवाना दिल्ली का एक और कुख्यात नाम है। वह बवाना गैंग का मुखिया रहा है और गोगी-टिल्लू गैंग वॉर में भी इसकी भूमिका रही है। उस पर दर्जनों आपराधिक केस हैं जिनमें हत्या, अपहरण और फिरौती प्रमुख हैं। फिलहाल नीरज तिहाड़ जेल में बंद है लेकिन जेल से भी उसका नेटवर्क काम करता है।

4. कंवरपाल गुर्जर
कंवरपाल गुर्जर उर्फ काले का नाम गैंगस्टर नीरज बवाना के करीबी के रूप में उभरा। वह सुपारी किलिंग और हथियारों की तस्करी से जुड़ा रहा है। दिल्ली-एनसीआर में उसके नाम का खौफ रहा है और उस पर कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं।
5. अतुल भाटी
गौतमबुद्ध नगर और दिल्ली से जुड़ा एक शातिर बदमाश जिसने राजनीतिक संपर्कों और माफिया नेटवर्क के सहारे बड़ा नाम कमाया। होटल, रियल एस्टेट और ठेकेदारी के बहाने अपराध को बढ़ावा देने के आरोप उस पर लगे।
6. फज्जा (कुलदीप मान)
फज्जा का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया जब वह पुलिस हिरासत से फिल्मी अंदाज़ में फरार हुआ। वह टिल्लू गैंग से जुड़ा हुआ था और उस पर कई हत्या और लूटपाट के मामले थे। भागने के कुछ ही समय बाद पुलिस मुठभेड़ में उसे मार गिराया गया।

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7. मोनू दरिया
मोनू दरिया दिल्ली के बाहरी इलाकों में सक्रिय एक खतरनाक अपराधी था, जो रंगदारी और सुपारी किलिंग के मामलों में सक्रिय रहा। वह कई बार गिरफ्तार हुआ लेकिन बार-बार जमानत पर छूटता रहा। उस पर भी टिल्लू गैंग से जुड़ा होने का आरोप था।
8. नवीन बाली
यह नाम रोहिणी और बाहरी दिल्ली के इलाकों में बेहद कुख्यात रहा है। नवीन बाली पर हत्या, डकैती, लूट और फिरौती जैसे दर्जनों मामले दर्ज हैं। पुलिस की मानें तो बाली गैंग ने कई व्यवसायियों और बिल्डर्स से लाखों की रंगदारी वसूली थी।

9. रोहित मोई
रोहित मोई का नाम अंडरवर्ल्ड और गैंग वॉर के संदर्भ में सामने आता है। वह कई गैंगों से संबंध रखता था और दिल्ली-हरियाणा में अवैध हथियारों और नशे की तस्करी से जुड़ा था। वह भी एक मुठभेड़ में मारा गया।

10. कुलदीप राठी
दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर इलाकों में सक्रिय यह अपराधी कई बड़े मामलों में वांछित रहा है। उस पर पुलिस ने इनामी राशि भी घोषित कर रखी थी। पुलिस के अनुसार राठी ने राजनीतिक शरण लेकर काफी समय तक गिरफ्तारी से बचाव किया।
अपराध का बदलता चेहरा
दिल्ली के इन अपराधियों की कहानियाँ यह दिखाती हैं कि कैसे कॉलेज से शुरू हुई रंजिशें, आपसी टकराव और सत्ता की भूख उन्हें अपराध की दलदल में खींच लेती हैं। टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल, सोशल मीडिया पर दिखावा और गैंग के नाम पर “स्टेटस सिंबल” बनाना आज के युवाओं को इस ओर खींचता है।
पुलिस की भूमिका और जवाबदेही
दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियों ने इन गैंगों को रोकने में कई बार सफलता पाई है, लेकिन जेलों में बैठे गैंगस्टरों के नेटवर्क को रोकना अब भी एक चुनौती है। तिहाड़ जैसी हाई-सिक्योरिटी जेलों में भी गैंग वॉर और हत्या की घटनाएँ सामने आना गंभीर चिंता का विषय है।

अपराध की ऊँचाई का अंत हमेशा विनाश होता है
दिल्ली में अपराध की दुनिया अब सिर्फ बाहुबल पर नहीं, बल्कि नेटवर्क, पैसा, तकनीक और राजनीतिक सांठगांठ पर चलती है। इन कहानियों से यह सीख मिलती है कि अपराध का रास्ता चाहे जितनी भी ऊँचाई दे, अंत में विनाश ही लाता है।