रोटवीलर का हमला: गुजरात के अहमदाबाद शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है।

शहर के हाथीजन सर्किल के पास स्थित राधे रेजीडेंसी नामक सोसाइटी में एक पालतू रोटवीलर कुत्ते के हमले में मात्र चार महीने की मासूम बच्ची की जान चली गई। यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिसमें कुत्ता अपने मालिक की पकड़ से छूटकर बच्ची पर बेकाबू होकर हमला करता हुआ नजर आता है। बच्ची की पहचान ऋषिका डाभी के रूप में हुई है, जिसके पिता अजीत डाभी एक निजी कंपनी में काम करते हैं।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
रोटवीलर का हमला: लापरवाही बनी मासूम की मौत की वजह
सोमवार रात करीब नौ बजे जब यह घटना हुई, उस वक्त सोसाइटी की एक महिला अपने पालतू कुत्ते को घुमाने के लिए बाहर निकली थी। उसी समय बच्ची की चाची भी उसे गोद में लेकर सोसाइटी के खुले हिस्से में एक सीमेंट की कुर्सी पर बैठी हुई थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुत्ते की मालकिन दिलीप पटेल की बेटी थी, जो कुत्ते के साथ फोन पर बात करते हुए टहल रही थी। बताया गया कि वह फोन पर इतनी व्यस्त थी कि उसने कुत्ते पर ध्यान देना बंद कर दिया और तभी रोटवीलर बेकाबू हो गया।
कुत्ता अचानक चाची की ओर झपटा और उस पर हमला कर दिया। हमले की वजह से चाची बच्ची समेत जमीन पर गिर पड़ीं और तभी कुत्ते ने मासूम ऋषिका को उनकी गोद से छीन लिया। इसके बाद कुत्ता लगातार बच्ची को काटने लगा। चाची ने बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। घायल अवस्था में दोनों को तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां ऋषिका को मृत घोषित कर दिया गया।
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CCTV में कैद हुआ आतंक: पट्टे में बंधा था पर काबू में नहीं था कुत्ता
घटना की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह पूरी वारदात सोसाइटी में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कुत्ता पट्टे से बंधा हुआ था, लेकिन मालिक के नियंत्रण में नहीं था। कई सोसाइटी निवासियों ने बताया कि यह पहली बार नहीं था जब यह कुत्ता आक्रामक हुआ हो।
ऋषिका के चाचा राजू डाभी ने बताया कि यह तीसरी या चौथी बार है जब उस कुत्ते ने इस तरह का आक्रामक व्यवहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुत्ते के मालिक ने पहले भी उसकी आक्रामकता को नजरअंदाज किया और इस बार उसकी लापरवाही के कारण एक मासूम की जान चली गई। राजू ने कुत्ते के मालिक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है और कहा कि ऐसे जानवरों को खुले में रखने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, खासकर तब जब वे पहले भी खतरनाक व्यवहार कर चुके हों।
अहमदाबाद नगर निगम के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह रोटवीलर कुत्ता राधे रेजीडेंसी के निवासी दिलीप पटेल का है। घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल है और कई निवासियों ने अपने बच्चों को बाहर खेलने से रोक दिया है। घटना ने लोगों के मन में पालतू कुत्तों को लेकर भय पैदा कर दिया है, खासकर उन नस्लों को लेकर जो आक्रामक मानी जाती हैं।
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पालतू जानवर पालने की ज़िम्मेदारी पर उठे सवाल
बच्ची के माता-पिता की हालत बेहद खराब है। शुरुआत में उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने से भी इनकार कर दिया था, क्योंकि वे अपने दर्द में डूबे हुए थे। उन्होंने अपनी बेटी का पोस्टमार्टम कराने से भी मना कर दिया था, लेकिन बाद में समझाने पर उन्होंने औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी करने की अनुमति दी।
इस घटना ने पालतू जानवर पालने की जिम्मेदारी को लेकर एक बार फिर से गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रोटवीलर जैसे आक्रामक नस्ल के कुत्ते को पालतू बनाना और फिर उसे सार्वजनिक स्थानों पर घुमाना, वह भी बिना पर्याप्त नियंत्रण के, कितनी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता है, इसका यह उदाहरण बन गया है।
कई सोशल एक्टिविस्ट्स और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि ऐसे कुत्तों के मालिकों को अधिक जिम्मेदार और सतर्क रहने की जरूरत है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पालतू कुत्ते की आक्रामकता को लेकर अगर पहले से शिकायतें थीं, तो स्थानीय प्रशासन को पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए थी।

पुलिस ने दर्ज किया मामला कुत्ते को जब्त कर जांच शुरू
फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कुत्ते को जब्त कर लिया गया है और उसकी चिकित्सकीय जांच करवाई जा रही है। यह देखा जा रहा है कि क्या कुत्ता मानसिक या शारीरिक रूप से अस्वस्थ था, या यह सिर्फ मालिक की लापरवाही का नतीजा था। पुलिस कुत्ते के मालिक और उसकी बेटी से भी पूछताछ कर रही है, ताकि घटना की पूरी सच्चाई सामने लाई जा सके।
इस घटना ने अहमदाबाद ही नहीं बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। सोशल मीडिया पर इस घटना की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। लोग बच्ची के प्रति संवेदना जता रहे हैं और साथ ही कुत्ते के मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई लोगों ने यह भी सुझाव दिया है कि पालतू कुत्तों को लेकर सख्त कानून बनाए जाएं और उनकी नस्ल, व्यवहार और प्रशिक्षण के आधार पर ही उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर लाने की अनुमति दी जाए।
अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी और गंभीरता से कार्रवाई करता है और क्या यह मामला भविष्य में पालतू जानवर पालने के नियमों में बदलाव का कारण बनता है या नहीं। लेकिन फिलहाल, एक मासूम जान की कीमत पर जो सबक मिला है, वह बेहद दर्दनाक और सोचने पर मजबूर करने वाला है।