शाहदरा में चिट फंड: नई दिल्ली – राजधानी दिल्ली के शाहदरा जिले से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां लोगों को चिट फंड और ऊंचे ब्याज पर पैसा दोगुना करने का झांसा देकर करीब डेढ़ करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया गया है।

शाहदरा में चिट फंड: इस ठगी को अंजाम देने वाले कोई आम अपराधी नहीं, बल्कि पति-पत्नी की एक ऐसी जोड़ी है, जो न केवल सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित दिखती थी, बल्कि बुटीक और फाइनेंस का काम कर लोगों का विश्वास भी जीतने में सफल रही थी।
बताया जा रहा है कि दीपाली गुप्ता नाम की महिला, जो बुटीक और निजी फाइनेंसिंग का काम करती है, उसने अपने पति मनीष गुप्ता के साथ मिलकर अब तक करीब 30 लोगों को एक ही तरह के झांसे में फंसाकर उनके खून-पसीने की कमाई को हड़प लिया है। इन दोनों ने लोगों को पहले निवेश के बदले भारी ब्याज और चिट फंड में लाभ देने का झांसा दिया और जब लोगों ने अपनी जमा पूंजी इनके हवाले कर दी, तो अब ये ठग पैसा वापस करने से साफ इनकार कर रहे हैं।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
शाहदरा में चिट फंड: “पाई-पाई जोड़ी ठगों को दे दी” – पीड़ितों की दर्दभरी कहानी
शाहदरा में चिट फंड: इस पूरे मामले में सबसे दुखद बात यह है कि अधिकतर पीड़ित मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग से आते हैं, जिन्होंने वर्षों की मेहनत से थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर इन लोगों को दिया था। ये लोग जल्दी पैसा दोगुना होने और भविष्य में सुरक्षित निवेश के लालच में आ गए।

मोजपुर निवासी गीता शर्मा जो खुद इस गिरोह की ठगी का शिकार हुई हैं, ने बताया कि –
“दीपाली गुप्ता ने मुझे कहा था कि अगर मैं पैसे निवेश करूं, तो हर महीने मुझे मोटा ब्याज मिलेगा और कुछ महीनों बाद मेरी पूरी रकम के साथ लाभ भी वापस कर दिए जाएंगे। मैं लालच में आ गई और मैंने अपने जीवन की बचत – कुल 5 लाख 42 हजार रुपये – उसे दे दिए। लेकिन अब वो न तो पैसे लौटा रही है और उल्टा हमें धमकी दे रही है। उसका पति मनीष गुप्ता भी इस पूरे मामले में बराबरी का दोषी है।”
गीता शर्मा की कहानी अकेली नहीं है। अब तक करीब 30 से ज्यादा लोगों ने शाहदरा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। सभी की कहानी लगभग एक जैसी है – पहले विश्वास, फिर लालच, फिर पैसे देना और अंत में धोखा।
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बंटी-बबली की तरह ठगी – पुलिस जांच में हुआ बड़ा खुलासा
पुलिस ने जब इस मामले में गहराई से जांच शुरू की, तो चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। जांच में पाया गया कि दीपाली गुप्ता और मनीष गुप्ता ने सोची-समझी रणनीति के तहत लोगों को निशाना बनाया। ये लोग खुद को आर्थिक सलाहकार और निवेश एजेंट के रूप में पेश करते थे। लोगों के बीच वे खुद को एक “पारिवारिक भरोसेमंद कपल” के रूप में स्थापित कर चुके थे। खासकर महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को अपने जाल में फंसाना इनका प्रमुख तरीका था।
इन दोनों ने कुछ समय तक कुछ लोगों को शुरू में थोड़ी रकम वापस करके भरोसा और विश्वास बनाने की चालाकी भरी रणनीति अपनाई, और फिर धीरे-धीरे बड़ी रकम वसूलने लगे। जैसे ही लोगों ने बड़ी रकम निवेश कर दी, वैसे ही इन्होंने पैसे वापस देना बंद कर दिया और फोन उठाना, सामने आना, सब बंद कर दिया।
सीनियर वकील ऋषिपाल सिंह ने जताई सख्त कार्रवाई की जरूरत
इस मामले पर जब मीडिया ने सीनियर क्रिमिनल लॉयर ऋषिपाल सिंह से बात की, तो उन्होंने इसे एक गंभीर वित्तीय अपराध बताया। उन्होंने कहा:
“यह मामला न केवल फर्जीवाड़े का है, बल्कि यह आम लोगों के विश्वास और उनकी मेहनत की कमाई पर चोट है। पुलिस को इस मामले में तत्परता दिखानी चाहिए और पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए। अगर यह गिरोह खुला घूमता रहा तो और भी लोग इसका शिकार हो सकते हैं। ऐसे अपराधियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, जिससे यह दूसरों के लिए मिसाल बने।”
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पुलिस की बड़ी कार्रवाई की तैयारी – खुल सकता है और बड़ा रैकेट
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस अब इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर देख रही है। अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला अकेले दीपाली और मनीष तक सीमित नहीं हो सकता, क्योंकि जिस पैमाने पर लोगों को ठगा गया है, उसमें किसी नेटवर्क या ग्रुप के शामिल होने की आशंका भी जताई जा रही है।

चिट फंड स्कैम: पुराने घाव नया ज़ख्म
दिल्ली समेत पूरे देश में चिट फंड के नाम पर ठगी की घटनाएं नई नहीं हैं। पहले भी पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार में करोड़ों की चिट फंड घोटालों की खबरें सामने आ चुकी हैं। लेकिन दुखद बात यह है कि इसके बावजूद आम लोग आज भी “जल्दी पैसा दोगुना” होने के लालच में ऐसे जाल में फंस जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आम जनता को निवेश से पहले सावधानी बरतनी चाहिए, और केवल प्रमाणित व रजिस्टर्ड कंपनियों में ही पैसे लगाने चाहिए। बिना कागज़ी दस्तावेज और सरकारी मान्यता के किसी को भी पैसा देना आर्थिक आत्महत्या जैसा है।

कब समझेगा आम आदमी?
इस तरह के मामलों से एक बार फिर यह साबित होता है कि विश्वास और लालच का मेल अक्सर ठगी में बदल जाता है। शाहदरा के इस चिट फंड घोटाले में पीड़ितों की संख्या और नुकसान की रकम भले ही अब तक सीमित दिख रही हो, लेकिन यदि समय रहते कार्रवाई न की गई तो यह और बड़ा रूप ले सकता है।
पुलिस से मांग की जा रही है कि वह इस मामले में तेज़ और निर्णायक कार्रवाई करे ताकि इन जैसे ठगों को सबक मिल सके और आम जनता को न्याय मिल सके।