साइबर क्राइम: भारत में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों के बीच एक और नई चुनौती सामने आई है – शेयर ट्रेडिंग स्कैम।

इस अपराध में चीन के अंतरराष्ट्रीय ठगों का बड़ा हाथ होने का खुलासा हुआ है। हाल ही में दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने गुजरात के सूरत शहर से अलीश नजमुद्दीन हिरानी (21) नामक एक आरोपी को गिरफ्तार किया है।
हिरानी न केवल ठगी का हिस्सा था, बल्कि उसने दुबई में चीनी कॉल सेंटर में काम करने के बाद भारत लौटकर शेल कंपनियां बनाईं और चीनी ठगों के लिए बैंक अकाउंट्स का प्रबंध किया।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
साइबर क्राइम: कैसे हुआ मामला उजागर?
साइबर क्राइम: यह मामला तब उजागर हुआ जब 27 सितंबर को बवाना निवासी गुले राज ने दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि जुलाई 2024 में यूट्यूब पर एक वीडियो देखकर वे ठगी का शिकार हुए। वीडियो में स्टॉक मार्केट में निवेश और तेज मुनाफे का लालच दिया गया था। वीडियो के जरिए एक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने का लिंक दिया गया था।
शिकायतकर्ता ने बताया कि वह C714 Upsurge Club नामक व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ गए। कुछ ही दिनों में उन्हें एक और ऐप Bulk AiD Han Pro डाउनलोड करने का सुझाव मिला, जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध था। इस ऐप में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद शिकायतकर्ता को Upsurge Club-SVIP001नाम के दूसरे व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया। यहां उन्हें आईपीओ और एफपीओ ट्रेडिंग के जरिए बड़ा मुनाफा कमाने का भरोसा दिलाया गया। इसी प्रक्रिया में शिकायतकर्ता से 1,42,200 रुपये निवेश के नाम पर ठग लिए गए।
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साइबर क्राइम: जांच में हुआ बड़ा खुलासा
शिकायत के बाद साइबर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच शुरू की। इंस्पेक्टर रमन और उनकी टीम ने संदिग्ध खातों और फर्मों की जांच की। जांच में पता चला कि शिकायतकर्ता के पैसे अंबाला इंटरप्राइजेज नामक एक फर्म के खाते में ट्रांसफर हुए थे। इस खाते को भारत से बाहर के सर्वर के जरिए एक्सेस किया गया था।
इसके बाद साइबर पुलिस ने जांच को और गहराई से आगे बढ़ाया। जांच के दौरान परमार ट्रेडिंग नाम की एक संदिग्ध शेल फर्म का पता चला। बैंक स्टेटमेंट से पता चला कि इस खाते में करीब 1.1 करोड़ रुपये जमा किए गए थे, जिन्हें बाद में अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।
सूरत से आरोपी की गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस की टीम ने बैंकों के सहयोग से इन खातों को तुरंत फ्रीज करा दिया। इसके बाद टीम ने सूरत से अलीश नजमुद्दीन हिरानी को गिरफ्तार किया। हिरानी के पास से एक मोबाइल फोन बरामद हुआ, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वह टेलीग्राम के जरिए चीनी ठगों से संपर्क में था। हिरानी ने स्वीकार किया कि उसने परमार ट्रेडिंग अकाउंट की जानकारी चीनी ठगों को भेजी थी।
हिरानी ने यह भी बताया कि वह केवल 10वीं तक पढ़ा है। जनवरी 2024 में वह नौकरी के लिए दुबई गया, जहां उसने दो महीने तक एक चीनी कॉल सेंटर में काम किया। भारत लौटने के बाद उसने मुनव्वर और सलीम नामक अपने सहयोगियों की मदद से चीनी ठगों के लिए बैंक अकाउंट्स का इंतजाम किया।
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कैसे काम करता था ठगी का यह रैकेट?
यह अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध ऐप्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर लोगों को ठगता था। आरोपी और उसके सहयोगी निवेशकों को बड़े मुनाफे का लालच देकर ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करते थे। रजिस्ट्रेशन के बाद निवेश के लिए पैसे मांगे जाते थे।
इसके बाद ये रकम चीनी ठगों के बताए खातों में जमा कर दी जाती थी। ठगी की रकम हवाला नेटवर्क के जरिए यूएसडीटी (यूएस डॉलर टेदर) में बदलकर दूसरे शेल खातों में ट्रांसफर की जाती थी। दुबई में स्थित चीनी कॉल सेंटर इस पूरे रैकेट को संचालित करते थे।
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पुलिस का बयान और कार्रवाई
दिल्ली पुलिस के डीसीपी निधिन वाल्सन ने बताया कि आरोपी अलीश नजमुद्दीन हिरानी ने टेलीग्राम के जरिए चीनी ठगों से संपर्क किया था। वह उनके लिए बैंक खातों का इंतजाम करता था और ठगी के पैसे उनके अकाउंट्स में ट्रांसफर करता था। पुलिस ने इस मामले में हिरानी के दो अन्य साथियों की तलाश शुरू कर दी है।
इसके अलावा, पुलिस ने आम जनता को इस तरह के ऐप्स और ऑनलाइन ग्रुप्स से सतर्क रहने की सलाह दी है। पुलिस का कहना है कि साइबर ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग लेकर इस सिंडिकेट को खत्म किया जाएगा।

साइबर क्राइम के बढ़ते मामले
यह घटना भारत में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों की ओर इशारा करती है। ठगी के इन मामलों में विदेशी तत्वों की संलिप्तता से यह स्पष्ट होता है कि साइबर अपराध अब केवल स्थानीय नहीं रहे। इनका दायरा अंतरराष्ट्रीय हो चुका है।
इस तरह की घटनाएं सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती पेश करती हैं। आम नागरिकों को भी सतर्क रहकर निवेश से जुड़े ऐसे ऐप्स और ग्रुप्स से बचने की आवश्यकता है।