नीरज बवाना: दिल्ली की संगठित अपराध की दुनिया में अगर कोई नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है, तो वह है नीरज बवाना।

एक साधारण गांव से निकलकर राजधानी के सबसे खतरनाक और ताकतवर गैंगस्टर बनने तक का उसका सफर डर, दबदबे और धोखे से भरा हुआ है। उसके नाम से न सिर्फ दिल्ली, बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब तक के अपराध जगत में खौफ फैलता था। यह कहानी है उस शख्स की, जिसने दोस्ती और दुश्मनी दोनों में खून बहाना सीखा, और जेल में रहते हुए भी अपना साम्राज्य चलाता रहा।
टीपू सुल्तान
क्राइम एपिसोड
नीरज बवाना: किसान परिवार में जन्मा एक सामान्य लड़का कैसे बना गैंगस्टर
नीरज बवाना का असली नाम नीरज सेहरा है। उसका जन्म दिल्ली के बाहरी इलाके बवाना गांव में हुआ था। इस गांव से ही उसके नाम के साथ “बवाना” जुड़ गया। उसका परिवार सामान्य किसान पृष्ठभूमि से था, लेकिन नीरज का बचपन से ही पढ़ाई से ज्यादा जुड़ाव स्थानीय ताकत और दबदबे से था।
वह कुश्ती का शौकीन था, और पहलवानी के कई मुकाबलों में हिस्सा लिया करता था। लेकिन समय के साथ वह स्थानीय झगड़ों और बाद में अपराध की ओर मुड़ गया। पहले पहल छोटे-मोटे झगड़े और मारपीट से शुरुआत हुई, लेकिन जल्द ही नीरज ने खुद को संगठित अपराध के रास्ते पर डाल दिया।
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अपराध की दुनिया में प्रवेश
नीरज ने 2000 के दशक की शुरुआत में अपना पहला अपराध किया — एक स्थानीय गैंग से जुड़े झगड़े में गोलीबारी। इसके बाद उसने कुछ और छोटे गैंग के लोगों के साथ गठबंधन बनाया। धीरे-धीरे वह अपहरण, रंगदारी, सुपारी किलिंग और अवैध हथियारों की तस्करी जैसे अपराधों में सक्रिय हो गया।
उसकी ताकत उस वक्त बढ़ी जब उसने दिल्लियों और हरियाणा के सीमावर्ती इलाकों में वसूली और डर के बल पर अपना नेटवर्क फैलाया। कई बिल्डर्स, ठेकेदार, और कारोबारियों से वह रंगदारी वसूलने लगा। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उस पर 40 से अधिक संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं — जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, डकैती, अपहरण और आर्म्स एक्ट शामिल हैं।
बवाना गैंग की स्थापना
नीरज ने जब देखा कि अकेले अपराध करना सीमित असर डालता है, तब उसने बवाना गैंग की नींव रखी। यह गैंग जल्द ही दिल्ली-एनसीआर का सबसे खतरनाक संगठित गिरोह बन गया। इस गैंग का संचालन पूरी तरह पेशेवर अंदाज़ में होता था — नेटवर्किंग, रूटीन वसूली, अपराधियों की भर्ती और सोशल मीडिया पर दबदबा बनाए रखना इसमें शामिल था।
इस गैंग की सबसे खास बात यह थी कि यह युवाओं को पैसे और ताकत का लालच देकर अपने साथ जोड़ता था। कई कॉलेज छात्रों को गैंग में शामिल किया गया, जो आगे जाकर शूटर और फील्ड ऑपरेटिव्स बने।
प्रतिद्वंद्विता और गैंग वॉर
नीरज बवाना की सबसे खतरनाक दुश्मनी थी टिल्लू ताजपुरिया और जतिंदर गोगी गैंग से। इन गैंग्स के बीच सालों तक खूनी संघर्ष चलता रहा। दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर हुई हत्याएँ, अदालतों के अंदर फायरिंग, और जेल में हुए हमले इसी गैंगवॉर के हिस्से थे।
2021 में जतिंदर गोगी की हत्या के बाद, शक की सुई सीधे नीरज बवाना की ओर गई। हालांकि वह उस समय जेल में था, लेकिन माना गया कि हत्या की योजना उसने जेल से ही रची थी।
गिरफ्तारी और जेल से संचालन
नीरज बवाना को आखिरकार 2015 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया। उस समय उस पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। गिरफ्तारी के बावजूद उसका अपराधी नेटवर्क कमजोर नहीं पड़ा। तिहाड़ जेल में बंद रहते हुए भी वह मोबाइल फोन और दूसरे माध्यमों से अपने गैंग को निर्देश देता रहा।
पुलिस ने कई बार तिहाड़ जेल से फोन और अन्य उपकरण बरामद किए, जो यह साबित करते हैं कि नीरज जेल में रहते हुए भी पूरी तरह से गैंग का कंट्रोल अपने पास रखे हुए था।
सोशल मीडिया और नई रणनीति
हाल के वर्षों में नीरज बवाना और उसके गैंग ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल रणनीतिक हथियार के रूप में किया। हत्या या गैंगवार के बाद धमकी भरे पोस्ट डालना, प्रतिद्वंद्वी गैंग को खुलेआम ललकारना और अपने “स्टेटस” को दिखाना बवाना गैंग की नई पहचान बन गई थी।
कुछ पोस्ट में गैंग ने खुद को “रॉबिनहुड” बताया — जो गरीबों की मदद करता है और दुश्मनों से “इंसाफ” लेता है। यह रणनीति युवाओं को आकर्षित करने का एक तरीका बन गया, और कई युवक गैंग से जुड़ने लगे।
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नीरज बवाना की छवि
दिल्ली-एनसीआर के अपराधियों के बीच नीरज बवाना की छवि एक “डॉन” की तरह है। कुछ लोग उसे “गैंगस्टर विद ब्रेन” कहते हैं क्योंकि उसने अपने संगठन को बहुत रणनीतिक ढंग से चलाया। वह आमतौर पर खुद अपराध करने की बजाय आदेश देने में यकीन करता था।
गांव और कुछ स्थानीय क्षेत्रों में आज भी लोग उसे “बहादुर” या “नेता जैसा” मानते हैं, जबकि कानून व्यवस्था के नजरिए से वह एक खतरनाक अपराधी है।
प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद गैंग नेटवर्क अब भी सक्रिय
2024 तक, नीरज बवाना तिहाड़ जेल में बंद है और उस पर दर्जनभर मामलों की सुनवाई जारी है। कई केसों में वह आरोपी है, जबकि कुछ में गवाहों की कमी के चलते वह छूटने की स्थिति में है।
हालांकि पुलिस और प्रशासन ने उसके नेटवर्क को तोड़ने के कई प्रयास किए हैं, लेकिन यह तथ्य कि वह जेल से भी गैंग चला पाता है, इस बात का प्रमाण है कि उसका नेटवर्क अभी भी सक्रिय है।

जेल में बंद लेकिन नाम आज भी खौफ की वजह
नीरज बवाना की कहानी एक चेतावनी है — यह दर्शाती है कि किस तरह एक सामान्य युवक अपराध की दुनिया में सबसे ऊपर पहुंच सकता है, लेकिन अंततः वह भी कानून के शिकंजे से नहीं बच सकता। यह कहानी समाज के लिए आईना है, जो दिखाता है कि अपराध में ग्लैमर की छवि युवाओं को किस तरह गुमराह कर सकती है।
नीरज आज भी जेल में है, लेकिन उसका नाम दिल्ली के अपराध इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में दर्ज रहेगा। वह अपने पीछे न केवल खून और हिंसा की कहानी छोड़ गया है, बल्कि यह सवाल भी — कि आखिर क्यों हमारे समाज में ऐसे लोग “हीरो” जैसे देखे जाने लगते हैं?