( Crime Episode )
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली से एक चौंकाने वाली Digital Fraud साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें राष्ट्रपति भवन के एक कर्मचारी को ही अपने ही सहकर्मी ने लाखों रुपये की ठगी का शिकार बना दिया।

इस मामले ने न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि साइबर अपराधों की बढ़ती तकनीकी चालबाजियों को भी उजागर किया है।
Crime Episode With Tipu Sultan
UPI इस्तेमाल न करने के बावजूद भी खाते से उड़ गई मोटी रकम
राष्ट्रपति भवन में चीफ हाउस होल्ड असिस्टेंट के पद पर तैनात सुरेंद्र कुमार और उनकी पत्नी के बैंक खातों से बीते तीन महीनों में कुल 24.40 लाख रुपये निकाल लिए गए। जब सुरेंद्र कुमार 14 मई को बैंक में पासबुक प्रिंट कराने पहुंचे, तो उन्हें इस बड़े वित्तीय नुकसान की जानकारी हुई। इसके तुरंत बाद उन्होंने Digital Fraud के बारे में दिल्ली पुलिस के साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई।
जांच में सामने आया कि सुरेंद्र और उनकी पत्नी को डिजिटल बैंकिंग या किसी UPI ऐप की जानकारी नहीं थी, न ही उन्होंने कभी ऐसे किसी ऐप को अपने मोबाइल में इंस्टॉल किया था। इसके बावजूद उनके खातों से एक-एक लाख रुपये करके बड़ी रकम निकाल ली गई थी।
भरोसा दिलवा कर मांगा फोन और उड़ाये लाखों रुपए
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने जब Digital Fraud मामले की जांच को आगे बढ़ाया तो पता चला कि यह पूरी ठगी राष्ट्रपति भवन के ही कर्मचारी प्रकाश सिंह ने की थी, जो सुरेंद्र कुमार का सहकर्मी था। दोनों एक ही विभाग में कार्यरत थे, इसी वजह से प्रकाश अकसर सुरेंद्र का मोबाइल मांग कर इस्तेमाल करता था। उसी दौरान उसने फोन-पे ऐप इंस्टॉल कर उनके खाते से हर बार एक लाख रुपये ट्रांसफर किए। ट्रांजेक्शन का मैसेज डिलीट कर देता और ऐप को फिर से अनइंस्टॉल कर देता, ताकि किसी को शक न हो।
पुलिस ने बताया कि सुरेंद्र और उनकी पत्नी के खातों से कुल 20 लाख रुपये कोलकाता निवासी संजय चक्रवर्ती के अकाउंट में ट्रांसफर हुए। जब पुलिस ने कोलकाता में रेड डालकर संजय को गिरफ्तार किया तो उसने खुलासा किया कि ये पैसे प्रकाश सिंह ने भेजे थे और इसके बदले उसे कमीशन दिया गया था।
प्रकाश सिंह ने पुलिस को बताया कि उसने ठगे गए पैसों से दो आईफोन, एक लैपटॉप, एक बाइक, और अन्य महंगे सामान खरीदे। इसके अलावा 2.25 लाख रुपये ऑनलाइन गेमिंग, घूमने और कुछ पुराने कर्ज चुकाने में खर्च किए। पुलिस ने उसके अकाउंट से 2.25 लाख रुपये जब्त कर लिए हैं।

डीसीपी देवेश कुमार महला ने बताया कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। यह मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि साइबर ठग किस तरह से करीबी रिश्तों और भरोसे का फायदा उठाकर बड़ी रकम चुरा लेते हैं।
यह मामला डिजिटल सुरक्षा को लेकर एक कड़ा संदेश देता है – कभी भी किसी को अपना फोन, पासवर्ड या बैंकिंग एक्सेस न दें, चाहे वह कितना ही भरोसेमंद क्यों न हो। छोटी सी लापरवाही लाखों के नुकसान में बदल सकती है।
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