ASI को 5 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा चायवाली से बंधा रिश्वत का नेटवर्क

( Crime Episode )

दिल्ली के गोविंदपुरी थाने से एक चौंकाने वाला ASI का मामला सामने आया है, जिसने पुलिस व्यवस्था की कार्यशैली और भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ASI

मंगलवार शाम विजिलेंस यूनिट की छापेमारी में थाने में तैनात एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) को पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। इससे भी हैरान करने वाली बात यह रही कि आरोपी ASI यह रिश्वत सीधे न लेकर थाने के बाहर स्थित एक चाय वाली महिला के माध्यम से लेता था।

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Crime Episode With Tipu Sultan

एफआईआर से नाम हटाने के बदले 10 हजार की मांग, ASI रंगे हाथों गिरफ्तार

सूत्रों के अनुसार, यह मामला एक झगड़े से जुड़े एफआईआर का था, जिसमें शिकायतकर्ता ने अपने परिवार के सभी लोगों के नाम शामिल करा दिए थे। जब परिवार के मुखिया ने अपने बेटे का नाम एफआईआर से हटवाने के लिए संबंधित जांच अधिकारी ASI से संपर्क किया, तो उसने इसके एवज में दस हजार रुपये की मांग की। पीड़ित परिवार से पहले ही पांच हजार रुपये वसूले जा चुके थे और शेष राशि की मांग लगातार की जा रही थी। आखिरकार परिवार ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (विजिलेंस यूनिट) से शिकायत की।

विजिलेंस यूनिट ने योजनाबद्ध तरीके से गोविंदपुरी थाने पर जाल बिछाया। पीड़ित परिवार ने जब चाय वाली महिला को रिश्वत की शेष रकम दी, तो विजिलेंस टीम ने मौके पर ही दबिश दी और ASI को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। महिला को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि आरोपी ASI पहले भी इस चाय वाली महिला के माध्यम से उगाही करता रहा है। इस गिरफ्तारी से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।

ACP की फटकार के बाद भी नहीं सुधरे SHO, अब विजिलेंस की नजर में

खबर लिखे जाने तक आरोपी ASI के खिलाफ विभागीय कार्रवाई नहीं हुई थी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि जल्द ही अधिकारी इस मामले में सख्त कदम उठा सकते हैं। SHO की भूमिका भी जांच के दायरे में है, क्योंकि एक जिम्मेदार थाना प्रभारी के रूप में उन्हें इस गतिविधि की जानकारी होनी चाहिए थी।

इसी थाने से जुड़ा एक और मामला सामने आया है, जिसमें गोविंदपुरी थाने के SHO और एक सब इंस्पेक्टर पर स्कूटी चोरी की शिकायत दर्ज कराने आए एक युवक मन्नत के साथ बदसलूकी करने और अभद्र व्यवहार करने का आरोप है। पीड़ित ने विजिलेंस विभाग में जाकर अपना बयान दर्ज करवा दिया है, जिसके बाद SHO और SI को तलब किया गया है। बताया जा रहा है कि SHO को पहले भी अपने व्यवहार के चलते ACP से फटकार मिल चुकी है, मगर उन्होंने अब तक कोई सुधार नहीं किया है।

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कानून के रक्षक जब बनें भक्षक, तो सिस्टम में कैसे जगेगा भरोसा?

इन दोनों मामलों ने दिल्ली पुलिस की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न केवल थाने में फैले भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह से स्थानीय दुकानदारी के जरिए रिश्वतखोरी का नेटवर्क खड़ा किया जा रहा है। जनता का विश्वास पुलिस पर आधारित होता है, मगर जब एक जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी ही कानून तोड़ते नजर आएं, तो यह पूरी व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है।

इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय को इस मामले में पारदर्शी जांच और कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि जनता का विश्वास फिर से बहाल किया जा सके और ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को कड़ी सजा दी जा सके।

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