रोहिणी में साइबर ठगी: नई दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाले 77 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर के साथ हुआ एक डिजिटल ठगी का मामला आज पूरे देश के लिए एक सबक बन गया है।
इस घटना में स्कैमर्स ने 19 दिनों तक बुजुर्ग को मानसिक और डिजिटल रूप से बंधक बनाकर 10.3 करोड़ रुपये ठग लिए। यह घटना न केवल साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे आज के डिजिटल युग में पढ़े-लिखे और अनुभवी लोग भी ठगी का शिकार बन सकते हैं।
क्राइम एपिसोड
रोहिणी में साइबर ठगी: शुरुआत में एक कूरियर कंपनी का कॉल
रोहिणी में साइबर ठगी: घटना की शुरुआत 25 सितंबर 2024 को हुई, जब बुजुर्ग को एक कूरियर कंपनी से कॉल आया। कॉल करने वाले ने दावा किया कि उनके नाम से मुंबई से चीन भेजा गया एक पार्सल वापस आ गया है। जब बुजुर्ग ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई पार्सल नहीं भेजा है, तो कॉलर ने बताया कि पार्सल पर उनके आधार कार्ड की जानकारी दर्ज है। यहीं से ठगी का सिलसिला शुरू हुआ।
कॉलर ने कहा कि इस मामले में मुंबई पुलिस से संपर्क करना होगा। इसके बाद बुजुर्ग को वीडियो कॉल के जरिए कथित पुलिस अधिकारियों से जोड़ा गया।
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रोहिणी में साइबर ठगी: वीडियो कॉल पर एक डरावनी चाल
रोहिणी में साइबर ठगी: वीडियो कॉल पर उन्हें एक व्यक्ति दिखा जो खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बता रहा था। उसने बुजुर्ग को पार्सल से जुड़े कथित अपराध में फंसाने की धमकी दी। जब बुजुर्ग ने अपनी बेगुनाही की बात कही, तो कथित अधिकारी ने उनके बैंक खातों की जानकारी मांगी।
कॉल को आगे बढ़ाते हुए, उन्हें एक और व्यक्ति से जोड़ा गया जिसने खुद को सीबीआई (CBI) का वरिष्ठ अधिकारी बताया। उसकी रौबदार आवाज और सरकारी दस्तावेजों ने बुजुर्ग को भ्रमित कर दिया। उसने बुजुर्ग से कहा कि मामले की जांच जारी है और इस बारे में किसी को न बताएं, वरना उनके और उनके परिवार के खिलाफ कार्रवाई होगी।
रोहिणी में साइबर ठगी: डर का फायदा उठाकर बंधक बनाया
रोहिणी में साइबर ठगी: बुजुर्ग ने बताया कि उस व्यक्ति ने उन्हें सुनसान कमरे में जाकर कॉल पर बात करने का निर्देश दिया ताकि कोई उनकी बातें न सुन सके। इसके बाद उन्हें कुछ फर्जी दस्तावेज दिखाए गए, जिनमें उनके आधार कार्ड की जानकारी और उन्हें देश छोड़ने से रोकने का आदेश था। इस बीच, स्कैमर्स ने बुजुर्ग के फोन को कथित तौर पर सर्विलांस पर रखने का दावा किया और लगातार डर का माहौल बनाया।
रोहिणी में साइबर ठगी: ठगी का असली खेल
रोहिणी में साइबर ठगी: स्कैमर्स ने अगले दिन बुजुर्ग को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के एक कथित अधिकारी से जोड़ा। उसने कहा कि वह मदद करेगा, लेकिन इसके लिए उन्हें जांच में सहयोग करते हुए पैसे ट्रांसफर करने होंगे। डर और भ्रम की स्थिति में, बुजुर्ग ने 25 सितंबर से 14 अक्टूबर के बीच तीन किश्तों में 10.3 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।
रोहिणी में साइबर ठगी: परिवार की मदद से खुला मामला
14 अक्टूबर को ठगों ने कहा कि उनके भाई का नाम भी जांच में आ गया है। जब बुजुर्ग ने अपने भाई से संपर्क किया, तो उन्हें शक हुआ और उन्होंने बुजुर्ग को समझाया कि उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है। इसके बाद, उन्होंने रोहिणी जिला पुलिस साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई।
बुजुर्ग ने कहा, “मैं पूरी घटना के दौरान डरा हुआ था। मेरे पास अपने परिवार और पुलिस से बात करने का समय था, लेकिन मुझे लगा कि अगर मैंने कुछ कहा तो मेरे खिलाफ कार्रवाई होगी।”
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रोहिणी में साइबर ठगी: साइबर क्राइम का बढ़ता खतरा
यह घटना साइबर क्राइम के नए तरीकों को उजागर करती है। ठगों ने न केवल तकनीकी रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी बुजुर्ग पर नियंत्रण कर लिया। उन्होंने डिजिटल और मनोवैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर उन्हें 19 दिनों तक एक तरह से “डिजिटल अरेस्ट” में रखा।
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रोहिणी में साइबर ठगी: पुलिस की जांच और आगे की कार्रवाई
दिल्ली पुलिस की IFSO (Intelligence Fusion and Strategic Operations) यूनिट इस मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने बताया कि शुरुआती जांच में यह पता चला है कि ठगों ने अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधी गिरोह की तरह काम किया।
रोहिणी में साइबर ठगी: साइबर ठगी से बचाव के उपाय
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता जरूरी है।
- अजनबी कॉल्स से बचें: किसी अनजान नंबर से आई कॉल को नजरअंदाज करें, खासकर जब उसमें व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाए।
- आधिकारिक पुष्टि करें: किसी भी संदिग्ध कॉल या ईमेल के बारे में संबंधित विभाग या पुलिस से संपर्क कर पुष्टि करें।
- परिवार और दोस्तों को बताएं: ऐसे किसी भी मामले में तुरंत अपने परिवार और दोस्तों को जानकारी दें।
- डर में न आएं: साइबर अपराधी अक्सर डर का माहौल बनाकर ठगी करते हैं।
पुलिस जांच जारी: डिजिटल ठगी पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद
दिल्ली में हुई यह ठगी न केवल एक चौंकाने वाला मामला है, बल्कि यह भी दिखाती है कि साइबर अपराध किस हद तक पहुंच चुका है। 77 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर की यह कहानी सभी के लिए एक सीख है कि तकनीकी ज्ञान और सतर्कता के बिना डिजिटल युग में सुरक्षित रहना मुश्किल है। पुलिस इस मामले में जल्द ही बड़ी सफलता की उम्मीद कर रही है, लेकिन यह घटना हर किसी को सतर्क रहने का एक बड़ा संदेश देती है।
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