Major Action by ED: हरियाणा में 70 करोड़ का घोटाला

( Crime Episode )

हरियाणा में भ्रष्टाचार और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय ED (ईडी) ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण HSVP (एचएसवीपी) के दो पूर्व अधिकारियों — सुनील कुमार बंसल और राम निवास को गिरफ्तार किया है।

ED

गिरफ्तारी 9 जून को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 के तहत की गई, जोकि अवैध लेन-देन और सरकारी धन की हेराफेरी से जुड़ा है।

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Crime Episode With Tipu Sultan

2019-2024 के बीच विधायक रहे राम निवास पर भारी भ्रष्टाचार का साया

राम निवास न केवल एचएसवीपी HSVP के एक पूर्व अधिकारी हैं, बल्कि वे 2019 से 2024 के बीच हरियाणा विधानसभा में विधायक भी रह चुके हैं। सुनील कुमार बंसल उनके सहयोगी अधिकारी रहे हैं। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने मिलकर एचएसवीपी के एक गुप्त बैंक खाते के माध्यम से सरकारी कोष से करीब 70 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।

कैसे सामने आया घोटाला?

इस घोटाले का खुलासा उस समय हुआ जब एचएसवीपी के एक डीडीओ (ड्रॉइंग एंड डिसबर्सिंग ऑफिसर) ने पंचकूला के सेक्टर-7 पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में पंजाब नेशनल बैंक, चंडीगढ़ में एचएसवीपी के नाम पर संचालित एक गुप्त खाते से संदिग्ध तरीके से भारी मात्रा में निकासी का उल्लेख किया गया। इसके आधार पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की, और बाद में ईडी ने इस पर संज्ञान लिया।

गोपनीय बैंक खाता और संदिग्ध लेनदेन

ईडी की जांच में पाया गया कि यह बैंक खाता एचएसवीपी के आईटी विंग या कैश ब्रांच के किसी भी आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज नहीं था। यह दर्शाता है कि इस खाते का उपयोग जानबूझकर सार्वजनिक धन की चोरी और हेराफेरी के लिए किया गया। इस गुप्त खाते से 2015 से 2019 के बीच चुनिंदा पार्टियों को बिना किसी वैध उद्देश्य के करीब 70 करोड़ रुपये के डेबिट ट्रांजेक्शन किए गए।

संपत्तियों की जब्ती और रिमांड

ईडी ने जांच के दौरान तीन प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी कर 21 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं, जिनमें से 18.06 करोड़ रुपये की संपत्तियों की पुष्टि PMLA के तहत न्यायाधिकरण ने कर दी है। इस कार्रवाई में कई बैंक खातों की भी जांच की जा रही है, जो इस गड़बड़ी से जुड़े पाए गए हैं।

पंचकूला की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने दोनों आरोपियों को पांच दिन की ईडी रिमांड में भेज दिया है। ईडी की टीम अब इस धोखाधड़ी से जुड़े अन्य लोगों और बैंक कर्मचारियों की भी भूमिका की जांच कर रही है।

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गृह मंत्रालय और राज्य सरकार से स्वतंत्र जांच की मांग तेज

यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि कैसे सार्वजनिक संस्थानों में बैठे जिम्मेदार पदों पर आसीन अधिकारी, नियमों और भरोसे का उल्लंघन करते हुए सरकारी धन की लूट को अंजाम दे सकते हैं। ईडी की त्वरित कार्रवाई और संपत्तियों की कुर्की से यह उम्मीद बनी है कि दोषियों को सख्त सजा मिलेगी। साथ ही यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी देती है कि ऐसे अपराध अब छिपे नहीं रह सकते।

अगर गृह मंत्रालय और राज्य सरकार इस मामले की स्वतंत्र जांच और दोषियों की जवाबदेही सुनिश्चित करती है, तो यह एक मिसाल बन सकती है। जनता को भी यह समझना जरूरी है कि पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करना उनके अधिकारों में शामिल है।

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