PAYTM वॉलेट हैक कांड: नई दिल्ली- दिल्ली के वजीराबाद इलाके में साइबर फ्रॉड का एक नया मामला सामने आया है, जिसमें एक डिलीवरी बॉय का पेटीएम वॉलेट साइबर अपराधियों द्वारा हैक कर लिया गया।
इस मामले में पीड़ित शख्स कौशल कुमार का कहना है कि उसने गूगल पर पेटीएम कस्टमर केयर का नंबर सर्च किया, जो साइबर अपराधियों का झांसा निकला। इस घटना ने ऑनलाइन सुरक्षा और सतर्कता के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर किया है।
क्राइम एपिसोड
PAYTM वॉलेट हैक कांड: पेटीएम वॉलेट रिचार्ज में समस्या और धोखाधड़ी की शुरुआत
PAYTM वॉलेट हैक कांड: कौशल कुमार, जो पोर्टर कंपनी में डिलीवरी बॉय के तौर पर काम करते हैं, ने पुलिस को बताया कि उनके पेटीएम वॉलेट के जरिए कई ट्रांजेक्शन हुईं, हालांकि उनकी व्यक्तिगत बैंक अकाउंट से पैसे नहीं गए। उन्होंने बताया कि कुछ महीनों पहले उन्होंने अपने एक जानकार के लिए 100 रुपये का मोबाइल रिचार्ज किया था। लेकिन रिचार्ज असफल हो गया और उनके वॉलेट से पैसे कट गए।
समस्या का समाधान पाने के लिए कौशल ने गूगल पर पेटीएम कस्टमर केयर का नंबर सर्च किया। वहां एक नंबर दिखाई दिया, जिसे उन्होंने तुरंत डायल किया। फोन पर बातचीत करने वाले व्यक्ति ने खुद को पेटीएम कस्टमर केयर का अधिकारी बताया और समस्या सुलझाने का भरोसा दिया।
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स्क्रीन शेयरिंग ऐप के जरिए साइबर फ्रॉड का शिकार
साइबर अपराधी ने कौशल को ऑनलाइन समस्या हल करने के लिए एक ऐप डाउनलोड करने को कहा। उसने कौशल से RustDesk ऐप इंस्टॉल करवाया, जो स्क्रीन शेयरिंग के लिए इस्तेमाल होता है। इसके बाद, कौशल से उनका मोबाइल स्क्रीन शेयर करने को कहा गया।
कौशल ने जैसे ही स्क्रीन शेयर किया, अपराधी ने उनसे कई ओटीपी (OTP) मांगे, जिन्हें कौशल ने साझा कर दिया। इसके बाद अपराधी ने उनके पेटीएम अकाउंट में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर को बदल दिया।
घटना के बाद, कौशल के पेटीएम वॉलेट ने काम करना बंद कर दिया। उन्हें कुछ दिन बाद पता चला कि उनका पेटीएम वॉलेट किसी अन्य व्यक्ति के नियंत्रण में चला गया है।
पेटीएम वॉलेट हैक होने का पता चला
कौशल ने तुरंत पेटीएम ऑफिस, नोएडा जाकर अपने अकाउंट की डिटेल्स निकालीं। उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनके वॉलेट से कई ट्रांजेक्शन हो चुकी थीं। हालांकि, ये ट्रांजेक्शन उनकी ओर से नहीं हुई थीं।
इसके बाद, उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दिल्ली पुलिस के नॉर्थ जिले की साइबर सेल ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी।
साइबर फ्रॉड में इस्तेमाल तकनीक
पुलिस ने प्राथमिक जांच में पाया कि अपराधियों ने कौशल को गूगल सर्च के जरिए फंसाया। साइबर अपराधी अक्सर पेड एड्स (Paid Ads) के जरिए फर्जी कस्टमर केयर नंबरों को सर्च इंजन में प्रमोट करते हैं। इन फर्जी नंबरों के जरिए लोग सीधे अपराधियों के जाल में फंस जाते हैं।
इसके अलावा, Rust Desk जैसे स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स का इस्तेमाल अपराधी यूजर्स की जानकारी हासिल करने और उनके डिवाइस को नियंत्रित करने के लिए करते हैं।
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साइबर पुलिस की सलाह
साइबर पुलिस ने इस घटना के बाद लोगों को ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए कुछ अहम सुझाव दिए हैं:
- गूगल पर सर्च करते समय सावधान रहें:
सर्च इंजन पर दिखने वाले ‘Ad’ टैग वाले लिंक पर क्लिक न करें। ये लिंक अक्सर पेड प्रमोशन्स होते हैं और फर्जी हो सकते हैं। - यूआरएल की जांच करें:
किसी भी वेबसाइट पर जाने से पहले उसका यूआरएल (URL) ध्यान से जांचें। अगर यूआरएल में डॉट, डैश, अंडरस्कोर या स्पेलिंग की गड़बड़ी दिखे, तो वह वेबसाइट नकली हो सकती है। - कस्टमर केयर नंबर की सत्यता जांचें:
किसी भी कंपनी के हेल्पलाइन नंबर के लिए केवल उनकी आधिकारिक वेबसाइट का इस्तेमाल करें। - फ्रॉड के बाद तुरंत एक्शन लें:
अगर आप साइबर फ्रॉड का शिकार होते हैं, तो तुरंत 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
साइबर फ्रॉड से बचने के लिए जरूरी बातें
- किसी अनजान व्यक्ति से स्क्रीन शेयरिंग न करें।
- अपने ओटीपी, पासवर्ड या पिन किसी से साझा न करें।
- किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच करें।
- किसी भी संदिग्ध एक्टिविटी के बारे में तुरंत पुलिस को सूचित करें।
ऑनलाइन सतर्कता क्यों जरूरी है?
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते समय सतर्कता और सावधानी बेहद जरूरी है। साइबर अपराधी तकनीक का दुरुपयोग कर आम लोगों को आसानी से निशाना बना लेते हैं।
दिल्ली साइबर पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। कौशल कुमार जैसे मामले उन लाखों भारतीयों के लिए एक चेतावनी हैं, जो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करते हैं।
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सरकारी एजेंसियों और जनता की साझेदारी
इस घटना ने ऑनलाइन सुरक्षा की कमी और जागरूकता की आवश्यकता को उजागर किया है। ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए जनता को सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है। डिजिटल इंडिया के युग में, जहां अधिकांश कामकाज ऑनलाइन होता है, साइबर सुरक्षा पर ध्यान देना समय की मांग है।
दिल्ली के वजीराबाद में हुई इस घटना से सबक लेते हुए हमें अपने डिजिटल व्यवहार में अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। सिर्फ सरकारी एजेंसियों की मदद ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जागरूकता और सतर्कता भी इस तरह के अपराधों से बचने में मददगार हो सकती है।